31 दिसंबर 2017 को गौतम नवलखा द्वारा एलगार्ड परिसर के सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण के मामले में आरोपी को मांगी गई सुरक्षा को लेकर 1.64 करोड़ रूपये की राशि महाराष्ट्र सरकार को पुलिसकर्मियों की प्रापत सुरक्षा के एवज में देनी होगी। मामला क्योंकि उच्च न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए इस बारे में कुछ और तो नहीं कहना चाहता हूं लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि 10 नवंबर 2022 से नजरबंद इस व्यक्ति से सरकार द्वारा जो सुरक्षा उपलब्ध कराने का शुल्क मांगा गया है वो बिल्कुल सही और जनहित में है। मेरा मानना है कि जिन अन्य लोगों को किसी भी कारण से सुरक्षा दी गई है। उनसे भी इसी प्रकार से देशभर में सभी सरकारों को सुरक्षा खर्च वसूलना चाहिए। क्योंकि जहां तक दिखाई देता है आजकल ऐसी सुरक्षा किसी आम आदमी को तो उपलब्ध कम ही होती है इससे स्टेटस सिंबल के रूप में उपयोग करने वाले लोग जुगाड़ से ज्यादा उपयोग कर रहे हैं। मुझे लगता है कि एक मात्र किसी गरीब और शरीफ जनहित के काम में संलग्न सरकार को सहयोग करने वाले व्यक्ति पर कोई कष्ट आता है तो उसे निशुल्क ये सुविधा दी जाए तो कोई परेशानी नहीं है लेकिन जिस प्रकार से कितने ही अपराधी विभिन्न तरीकों को इस्तेमाल कर यह सुरक्षा प्राप्त कर लेते हैं उससे समाज में कोई अच्छा संदेश तो जाता हीं नहीं है कभी कभी यह सुरक्षा गार्ड धारी कहे अनकहे आतंक फैलाने और मारपीट करने पर उतर आते हैं जिससे सरकार और शासन की बदनामी होती है। क्योंकि सुरक्षा आम नागरिकों को उपलब्ध कराना जरूरी है। हत्यारों या समाज विरोधी लोगों के लिए यह व्यवस्था नहीं है।
आम आदमी के अलावा सुरक्षा मांगने वालों से वसूला जाए पूरा खर्च क्योंकि फोर्स अपराधियों की रक्षा और स्टेटस सिंबल के लिए नहीं है
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