हर पांच में से चार व्यक्ति कम या ज्यादा किसी ना किसी प्रकार की शारीरिक बीमारी से पीड़ित होने की बात करते नजर आ रहे हैं। वर्तमान में जो व्यवस्थाएं खानपान और सुविधा तथा चारों ओर फैली गंदगी की है उसके चलते ऐसा हो पाना कोई बड़ी बात नहीं है। एक दिन ख्याल आया कि भगवान ने हमें बहुमूल्य मानव जीवन इसलिए दिया है कि हम हर बुरी बात से शांतिपूर्वक लड़ने के लिए जो व्यवस्थाएं हैं वर्तमान के साथ उन्हें भी अपनाएं। थोड़ा स्वादिष्ट व्यंजन देखकर संयम रखें। एक सीमा के अंदर उसे खाएं और उसके खराब परिणाम ना निकले। महंगी दवाईयां लेने और आए दिन कभी हडिडयों में जकड़न तो कभी शरीर में दर्द, नसों का जाम हो जाना बीपी शुगर और पेट खराब जैसी बीमारियां आम बात हो गई है। सनफार्मा दवा कंपनी का एक विज्ञापन देखा जिसमें वह प्रचार कर रहे हैं कि हर मिनट एक हजार लोग उनकी दवाईयों का सेवन कर खुशहाल जीवन जी रहे हैं। एलोपैथिक दवाएं एकदम असर करती है इसलिए हमें लगता है कि हम खुशहाल है लेकिन इनके निगेटिव परिणाम बाद में पता चलते हैं। स्वस्थ कैसे रहे तो सुख में सुमिरन जो करें तो दुख काय को होए को ध्यान में रखते हुए अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि अगर हम बीमारियों से बचे रहे हैँ तो भगवान ने जो उपाय स्वस्थ रहने के हमें बख्शे हैं उन्हें अपनाना शुरू कर दें तो ८० प्रतिशत स्वस्थ रहकर हम आसानी से जी सकते हैं। जिन्हें गंभीर बीमारियां हो गई है वो भी इन उपायों को अपनाकर दवाईयों और बीमारियों के नुकसान से बच सकते हैं।
जीवन के सात दशक में मैं जो देखा उससे स्पष्ट हो रहा है कि होम्योपैथी आयुवेर्दिक यूनानी पद्धति शरीर पर गलत असर नहीं डालती। अब तो होम्योपैथी और आयुर्वेद की ऐसी दवाएं है जो एलीपैथी से जल्दी असर करती है। इसके साथ ही अगर हम व्यायाम करने साईकिल चलाने और पैदल चलना शुरू करें तो ना तो हडिडयों में जकड़न होगी और ना बीमारी। पिछले एक दशक से देख रहा हूं सुबह लहसुन की एक गांठ खाने से बीपी की परेशानी नहीं होती है। एक गिलास कच्ची हल्दी का पानी उबालकर आधा नींबू और नमक का सेवन करने से भी अच्छा महसूस होता है। सुबह या रात को दो घंटे भिगोकर एक चम्मच मैथी खाली पेट खाई जाए तो शुगर से भी बचा जा सकता है
प्रिय पाठकों मैं डॉक्टर नहीं और ना मुझे स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान है लेकिन जो जीवन में अपना रहा हूं उससे कह सकता हूं कि डॉक्टर की सलाह से यह उपाय करें तो महंगी दवाएं खाने से बच सकते हैं।
इससे भी अच्छी बात यह है कि अगर हम ब्रहम मुहुर्त में तीन बजे उठे और रात में नौ तक बजे सो जाए और रात को एसी चलाने से बचे। सुबह ताजी हवा में टहलें तो फेफड़ों की बीमारियों से बचा जा सकता है। कोई कहे कि रात को नौ बजे कैसे सो जाएं और तीन बजे कैसे उठे तो विज्ञान में भी कहा गया है कि रात 11 बजे सोकर 5 बजे उठ जाओ। बस आपको मजबूत सोच और पक्के इरादे से उठना और जो बातें मैंने कही है उन्हें अपनाने से कई लाभ होंगे। निरोगी शरीर रहने से काम ज्यादा कर सकते हैं। सबका भला कर सकते हैं। इस मामले में सुधार की सोच अपनाने में ज्यादा देर करना मैं समझता हूं सही नहीं है क्योंकि सरकार के प्रयासों के बाद भी स्वच्छता का माहौल नहीं बन रहा है क्योंकि कुछ निरकुंश अधिकारियों की मनमानी से सफाई के लिए बजट दिए जाने के बाद भी प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है। यह आदमी को आसानी से स्वस्थ नहीं रहने देंगे। यह हमें देखना है कि आराम को तिलांजलि दें या महंगी दवाएं खाकर परिवार का बजट खराब करें। सबसे जरुरी है रात को खाने के बाद २० मिनट जरुर टहले। दिन में अगर बैठकर दस गिलास पानी रोज पिए जाएं तो स्वास्थ्यवर्द्धक तो है ही, आखों के नीचे काले घेरे भी नहीं होते।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
ब्रहम मुहुर्त में उठो स्वस्थ रहो
Share.