जीवनभर शहर की शांति और भाईचारे के लिए काम करते रहे 15 जुलाई 1942 को काजी मंजिल, काजी आबिदीन रोड मुफ्तीवाड़ा कोतवाली में जन्मे और 1991 में अपने पिता जैनुल आबिदीन के निधन के बाद शहर काजी बने साजुदिन सिददीकी अपने अंतिम यात्रा से पूर्व भी होली का त्योहार होने के चलते नवाज ढाई बजे के बाद पढ़ने का संदेश देकर पूरे जीवन जो एकता का प्रयास किया उसे और मजबूत कर गए। रमजान माह में अस्वस्थ रहने के बाद भी रोजा रखा और हार्ट अटैक के बाद उन्हें साकेत स्थित धनवन्तरी हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया। उनके निधन की खबर सुनकर पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल, पूर्व सांसद शाहिद अखलाक, शहर विधायक रफीक अंसारी, पूर्व सीएम अखिलेश यादव, विधायक शाहिद मंजूर, विधायक गुलाम मोहम्मद, पूर्व विधायक योगेश वर्मा के अतिरिक्त अजय सेठी, अंकुर गोयल, हर्ष गोयल, चौधरी यशपाल सिंह, गजेंद्र सिंह धामा एडवोकेट, अतहर काजमी, राशिद अली आदि ने शोक व्यक्त किया। 19 जून 2012 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के हाथों सम्मानित हुए शहर काजी जैनुस साजिददीन की अंतिम विदाई में शहर उमड़ पड़ा। इसमें कितने ही रोते हुए और उनके कार्यों की प्रशंसा करते दिखाई दिए। शहर काजी को दिल्ली रोड स्थित चिश्ती पहलवान के कब्रिस्तान में दफन किया गया। अंतिम विदाई देने वालों की भीड़ इतनी थी कि कई थानों की फोर्स यातायात व्यवस्था नहीं बना पा रही थी। कुछ घर पहुंचे और हजारों ने सोशल मीडिया पर भावनात्मक विदाई दी। बताते चलें कि पीढ़ियों से इनका परिवार शहर काजी की जिम्मेदारी निभाता चला आ रहा है। 1991 में प्रो. जैनुस्साजीद्दीन सिद्दीकी शहर काजी बने। इससे पहले उनके पिता जैनुल आबिद्दीन सिद्दीकी भी शहर काजी थे। इनके निधन के उपरांत उनके पुत्र डॉ. सालीकीन सिददीकी को शहर काजी बनाया गया है। एएमयू में कॉमर्स पढ़ाने वाले 32 साल के डॉ. सालीकीन सिददीकी अभी अविवाहित हैं। बताते चलें कि मुस्लिम समुदाय द्वारा शहर काजी मनोनीत किया जाने वाला एक प्रतिष्ठित पद होता है। देश में यह परंपरा मुगलकाल से चली आ रही है। ज्यादातर एक ही परिवार के लोग शहर काजी बनते चले आ रहे हैं। शहर काजी का काम इस्लामिक कानून शरीयत के अनुसार धार्मिक मार्गदर्शन देना निकाह कराना प्रमाण पत्र देना ईद और अन्य त्योहारों के लिए दिशा निर्देश तय करना। मुस्लिम समाजों के विवादों को सुलझाने में मदद करना। दिवंगत शहर काजी इन पदों पर रहे।
शहर काजी, राष्ट्रपति पदक से सम्मान, इमाम एवं खतीब शाही ईदगाह एवं शाही जामा मस्जिद, अध्यक्ष दीनयात शरीयत दारुल कजा मेरठ, मैनेजर दारुल उलूम अरबिया कालेज मेरठ, ट्रस्टी सर सैय्यद एजुकेशन फाउंडेशन नई दिल्ली, मुतव्वली शाही जामा मस्जिद, जरनल सेक्रेटरी ओल्ड ब्वॉयज एसोसिएशन दारुल उलूम देवबंद, डीन एवं चेयरमैन फेकल्टी ऑफ थिऑलजी डिपार्टमेंट एएमयू अलीगढ़ एवं पूर्व चेयरमैन यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड।
पिता की कब्र के पास ही सुपुर्द-ए-खाक किए गए
चिश्ती साहब कब्रिस्तान शहर काजी के परिवार के लोगों का खानदानी कब्रिस्तान है। यहीं पर प्रो जैनुस साजिद्दीन सिद्दीकी के पिता शहर काजी जैनुल आबिद्दीन सिद्दीकी की भी क्रब है। जहां उनकी कब्र थी, उसी के पास शहर काजी प्रो जैनुस साजिद्दीन सिद्दीकी की भी कब्र तैयार की गई और उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
नामरू प्रोफेसर जैनुस साजिद्दीन सिद्दीकी शहर काजी
जन्मतिथिरू 15 जुलाई 1942
निवासरू काजी मंजिल, काजी आबिदीन रोड मुफ्तीवाड़ा कोतवाली मेरठ
शहर काजी बने 1991 में (पिता जैनुल आबिदीन के निधन उपरांत)
शुरुआती तालीम मदरसा दारुल उलूम मेरठ, आला तालीम दारुल उलूम देवबंद
हायर सेकेंडरी 1961 में जामिया मिल्ली इस्लामिया नई दिल्ली, 1964 में बीए उर्दू
1964-1975 अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से तालीम हासिल करते हुए पीएचडी की डिग्री हासिल की
1975 से एक साल जामिया मिल्ली इस्लामिया में शिक्षण कार्य किया
1976 से 2004 तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे, थिऑलजी डिपार्टमेंट में विभागाध्यक्ष रहे
चेयरमैन उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड (2012-13)
राष्ट्रपति पुरस्कार 2012 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने प्रदान किया
34 साल तक इस पद पर रहे प्रोफेसर जैनुस साजिद्दीन सिद्दीकी अपने कार्यकाल में जब भी जिले में सामाजिक समस्या खड़ी हुई तो पुलिस प्रशासन व शांतिप्रिय लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे और शांति व्यवस्था बनाने में हर सहयोग दिया। बताते हैं कि अंतिम समय से पूर्व मुस्लिम समाज के उलेमा और जिम्मेदार लोगों के साथ बैठक कर सभी परिस्थितियों पर चर्चा उपरांत जुम्मे की नमाज का समय दो बजे के स्थान पर ढाई बजे करने के ऐलान पर हस्ताक्षर किए और अपने लोगों से त्योहार को सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाने का आग्रह किया। प्रोफेसर जैनुस साजिद्दीन सिद्दीकी के निधन की खबर मिलते ही डीएम डॉ. वीके सिंह, एसएसपी डॉ. विपिन ताडा सहित अधिकारी उनके आवास पर पहुंचे और शोक जताया।
शहर के सांप्रदायिक सौहाद्र और भाईचारे के लिए काम करने वाले प्रमुख नागरिकों और संगठनों के साथ ही मजीठियां बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई, सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी, कांग्रेस नेता युसुफ कुरैशी एडवोकेट आदि ने भी शहर काजी के निधन पर अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की। इसके अलावा शहर काजी डॉ सालकिन व नायब शहर काजी जैनुस राशिददीन सिददीकी को भी लोगों ने मिलकर सांत्वना दी।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सांप्रदायिक सौहार्द्र और भाईचारे के लिए जीवनभर किया काम, 34 साल तक शहर काजी रहे प्रो. जैनुस्साजीद्दीन सिद्दीकी के निधन पर रो पड़ा सारा शहर
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