मेरठ 21 फरवरी (प्र)। नगर निगम के हाउस टैक्स विभाग में भ्रष्टाचार को सकर गत दिवस नगर आयुक्त डा. अमित पाल शर्मा ने कर अधीक्षकों, राजस्व निरीक्षकों, कर निर्धारण अधिकारी के अधिकारों में भारी कटौती कर दी। सबसे पहले तो नगर निगम के तीन जोन के हाउस टैक्स प्रभारी का दायित्व अपर नगर आयुक्त को दिया है। अब कर निर्धारण अधिकारी, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी को मात्र 50 हजार से डेढ़ लाख तक हाउस टैक्स के लिए वार्षिक मूल्यांकन (एआरवी) तय करने का अधिकार दिया गया है, जो पहले तीन लाख तक का था।
नगर आयुक्त ने हाउस टैक्स के एआरवी तय करने संबंधी अधिकारों में कटौती का आदेश कर दिया। माना जा रहा है राजस्व निरीक्षक, कर अधीक्षक के स्तर से एआरवी निर्धारण में गड़बड़ी की जाती है। नगर आयुक्त ने आदेश जारी कर हाउस टैक्स की एआरवी निर्धारित करने को लेकर सख्त आदेश जारी किए गए। अब जोनल स्तर पर मात्र 50 हजार तक का एआरवी निर्धारित किया जा सकेगा। 50,000 से 1,50,000 तक मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, कर निर्धारण अधिकारी के माध्यम से निर्धारण होगा, जो पहले तीन लाख तक था। 1,50,000 से 5,00,000 तक अपर नगर आयुक्त के माध्यम से एआरवी का निर्धारण, सुनवाई का अधिकार होगा। 5 लाख से अधिक की एआरवी का निस्तारण मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, मुख्य नगर लेखा परीक्षक एवं संबंधित अपर नगरायुक्त / सहायक नगर आयुक्त की संयुक्त समिति की सिफारिश पर नगर आयुक्त करेंगे।
रिश्वतखोर लिपिक- चपरासी सलाखों के पीछे पहुंचे
नगर निगम का रिश्वतखोर लिपिक और चपरासी मंगलवार को सलाखों के द्य पीछे पहुंच गए। एंटी करप्शन टीम ने दोनों आरोपियों को एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। हरि लक्ष्मी लोक निवासी सुधांशु कंसल की ईव्ज चौराहे पर रत्न आभूषण की दुकान है। दिसंबर द्य 2023 में निगम के कुछ कर्मचारी दुकान पर पहुंचे और 4.5 लाख रुपये गृहकर द्य बकाया बताया। 50 हजार रुपये मौके पर ले लिए। कुछ समय बाद निगम लिपिक दीपक कुमार ने सुधांशु को ऑफर दिया कि अगर वह 1.50 लाख रुपये देते हैं तो उनका गृहकर कम करें 56 हजार रुपये कर दिया जाएगा। सुधांशु कंसल ने एंटी द्य करप्शन विभाग को जानकारी दी जिस पर सोमवार को लिपिक दीपक कुमार और उनके सहयोगी चपरासी राहुल गौतम को रंगेहाथ गिरफ्तार करा दिया।
टैक्स में सुधार के नाम पर मांगी जा रही रिश्वत
नगर निगम में हाउस टैक्स सुधार के नाम पर रिश्वत की मांग लगातार हो रही है। गत दिनों ही गिरफ्तार हुए बाबू ने इब्ज पेट्रोल पंप के पास एक प्रतिष्ठान से हाउस टैक्स सुधार के नाम पर तीन लाख रुपये की मांग की थी। वहीं भाजपा नेता के एक रिश्तेदार से भी इसी तरह पैसे की मांग की गई थी। उधर, बाबुओं का कहना है कि वर्षों से जमे राजस्व निरीक्षक और अन्य अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। उधर, मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने हाउस टैक्स में रिशवतखोरी का संज्ञान लिया है। उन्होंने नगर आयुक्त को पत्र जारी कर हाउस टैक्स के लिपिक एवं एक अनुचर को एन्टी करप्शन की टीम द्वारा रिश्वत लेते हुए हिरासत में लेने के प्रकरण के विषय में जानकारी ली।
रिश्वत मामले में राजस्व निरीक्षक निकला सूत्रधार
नगर निगम के रिश्वत कांड में राजस्व निरीक्षक शास्त्रीनगर जोन अनुपम राणा की भूमिका भी सामने आई है। एंटी करप्शन ने देहलीगेट थाने में दर्ज कराए मुकदमे में उनका नाम भी शामिल किया है और जांच शुरू कर दी है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि 1.5 लाख रुपये की रकम का इन तीन के बीच बंटवारा होना था या पर्दे के पीछे कोई और भी शामिल है।
नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़ बहुत गहरी हैं। एंटी करप्शन की मानें तो वह लिपिक दीपक कुमार चपरासी राहुल गौतम को मुख्य आरोपी मानकर चल रहे थे लेकिन हकीकत यह है कि राजस्व निरीक्षक शास्त्रीनगर जोन अनुपम राणा की मुख्य भूमिका है। दीपक ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया है कि अनुपम राणा ने ही सुधांशु कंसल की इन दुकानों का विवरण दीपक को देकर भेजा था। कहा था कि अगर 1.5 लाख रुपये वह दे देते हैं तो गृहकर कम करा देंगे। दो में से एक फाइल यकीन दिलाने के लिए क्लीयर कर दी। 144066 रुपये के गृहकर को 55253 में खत्म करा दिया। दूसरी फाइल का गृहकर 56932 रुपये बनाया गया। इसके चेक के साथ 1.5 लाख रुपये रिश्वत के मांगे गए। सवाल यह है कि क्या भ्रष्टाचार की जड़ राजस्व निरीक्षक के कार्यालय तक फैली हैं।