Sunday, December 22

गैर कानूनी कारनामा उजागर, फर्जी प्रमाण पत्रों पर बांटी जा रही नौकरी

Pinterest LinkedIn Tumblr +

मेरठ 12 जनवरी (प्र)। सीसीएसयू में नौकरी की हसरत है और काबलियत नहीं है तो भी टेंशन की जरूरत नहीं है। फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र तैयार कराकर भी सीसीएसयू से संबंद्ध किसी भी कालेज में नौकरी हासिल की जा सकती है। ऐसा हुआ भी है। एक महिला और एक पुरुष अभ्यार्थी जिन्होंने कानून की पढ़ाई की थी, फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर गैर कानूनी तरीके से सीसीएसयू से संबंद्ध आईआईएमटी नोएडा स्थित कालेज के लॉ विभाग में न केवल नौकरी हासिल कर ली, बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से रिलीज की गयी सेलरी भी ले ली। शैक्षिक योग्यता के नकली प्रमाण पत्र की बात कुछ माह बाद ही खुल भी गयी। राजभवन से मामले में कार्रवाई के आदेश आ गए, लेकिन कार्रवाई के आदेशों पर सीसीएसयू प्रशासन साल भर तक कुंडली मारे बैठा रहा।

सीसीएसयू से संबंद्ध नोएडा स्थिति आईआईएमटी लॉ कालेज में सलेक्शन कमेटी जिसमें प्रो. अंजली मित्तल, प्रो. पंकज एमएमएच कालेज गाजियाबाद व एक अन्य शामिल थे, उन्होंने अप्रैल साल 2021 में ज्योति पत्नी विनोद कुमार व विजय महोबिया बतौर सहायक आचार्य सलेक्शन कर लिया। इंटरव्यू के दौरान शैक्षिक योग्यता को लेकर जो प्रमाण पत्र दिए गए, उसकी जब यूजीसी की साइट पर जांच की गयी तो चौंकाने वाली बात सामने आयी।

मसलन वो कुटरचित यानि फर्जी पाए गए। आरोप है कि ज्योति ने जो शैक्षिक प्रमाण पत्र दाखिल किए थे वो दरअसल, उसके पति विनोद कुमार के हैं। शैक्षिक प्रमाण पत्रों में इसी प्रकार की कुछ गड़बड़ी विजय महोबिया ने प्रमाण पत्र दाखिल किए थे, उनमें भी पायी गयी। वहीं, दूसरी ओर सलेक्शन हो जाने के बाद दोनों की सेलरी रिलीज कर दी गयी और उन्होंने बैंक खाते से अपनी सेलरी भी रिलीज करा ली।

डा. जितेन्द्र बताते हैं कि इसको लेकर उन्होंने छह बार राजभवन व सीसीएसयू प्रशासन को कार्रवाइ के लिए पत्र लिखा जब कहीं जाकर सीसीएसयू प्रशासन की नींद टूटी और वहां से 15 दिसंबर को एक चिट्ठी एसओ मेडिकल को भेजी गयी जिसमें मामले को उल्लेख करते हुए
एसओ मेडिकल को एफआईआर करने को कहा गया। डा. जितेन्द्र ने आरोप लगाया कि सीसीएसयू प्रशासन की नींद टूटी तो अब मेडिकल पुलिस नींद में नजर आ रही है। कुटरचित प्रमाण पत्रों से नौकरी हासिल करने वालों के खिलाफ एफआईआर अधर में लटका दी गयी है।

इस मामले की जानकारी किसी प्रकार से डा. जितेन्द्र सिंह एडवोकेट को किसी माध्यम से मिली तो उन्होंने आरटीआई मांग ली। आरटीआई में यूजीसी ने ज्योति व विजय कुमार की पूरी कुंडली बांच दी। जितेन्द्र कुमार ने पूरे मामले से बिंदुवार अवगत कराते हुए राजभवन को एक शिकायती पत्र लिख दिया। मामले को गंभीरता से लेते हुए अक्टूबर 2022 राजभवन के एक पत्र में सीसीएसयू प्रशासन कुलपति को उक्त मामल में कार्रवाई के निर्देश दिए गए, लेकिन मामले की शिकायत करने वाले जितेन्द्र कुमार एडवोकेट का आरोप है कि रजिस्ट्रार कार्यालय राजभवन से इस मामले में आए पत्र पर कुंडली मारकर बैठ गया।

Share.

About Author

Leave A Reply