Monday, September 16

अन्न क्षेत्र में महिला काव्य मंच की मन से मंच तक काव्य गोष्ठी संपन्न, सुषमा सवेरा आदि की प्रस्तुति रही सराहनीय

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मेरठ 07 सितंबर (प्र)। गणेश उत्सव शिक्षक दिवस व हिन्दी दिवस आदि के शुभ अवसर पर उप्र महिला काव्य मंच की महासचिव सुषमा सवेरा के सफल प्रयासों से आज अन्नपूर्णा मंदिर में एक कवि गोष्ठी का आयोजन शाम 4.30 से किया गया जिसका शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर तिलक पुस्तकालय व वाचनालय के सचिव चौ0 यशपाल सिंह वरिष्ठ भाजपा नेता अंकित चौधरी एवं अन्नपूर्णा ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष ब्रज भूषण गुप्ता व सुबोध गर्ग द्वारा किया गया। इस अवसर पर कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सुषमा सवेरा कर रही थी तथा मुख्य अतिथि खालसा इन्टर कालेज की निदेशिका मनु भारद्वाज व विशिष्ठ अतिथि के रूप में इस्माईल डिग्री कालेज की प्रवक्ता डा0 दिनेशा दिनेश रही। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती को माल्यार्पण कर सरस्वती वंदना से हुआ।

इस मौके पर अपनी रचनाऐं सुनाते हुए सुषमा सवेरा ने कहा-
मैं हिन्द की बेटी हूँ हिंदुस्तान से आई हूँ
संस्कार की सौगाते मैं संग संग लाई हूँ
हिंदी की बिंदी में हिंदुस्तान है बस्ता
हिंदी की बिंदी में सोलह श्रृंगार मैं लाई हूँ ।

महासचिव रेखा गिरीश’ ने गणेश जी की स्तुति इन शब्दों में की-
भजो गणेश गजानन देवा, हैं अनुराग भरे।
आते हैं हर वर्ष शिवा सुत, गौरी पुत्र हरे।
कर लो पूजन अरु आराधन, लाओ थाल सजा-
प्रथम पूज्य हैं गणपति बप्पा, मंगल ज्ञान झरे।।

सचिव नन्दिनी रस्तोगी “नेहा”ने पढ़ा-धूप में रंग सांवला नहीं पड़ा मेरा ,हां मेहनत की स्याही थोड़ी ज्यादा लग गई ।

उपाध्यक्ष आशा त्यागी ने कहा =
परिंदों ने चहकना छोड़ दिया है ।
कि गुलों ने महकना छोड़ दिया है।
कड़कती धूप में चलना है मुझे ,
छाँव देख बहकना छोड़ दिया है।

चित्रा त्यागी ने कहा –
संस्कृति की हूँ मैं रक्षक
सदा सभ्यता सिखाती हूँ,
हर एक युग धर्म चारित्र्य
मैं मानवता पढ़ाती हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ, मैं हिन्दी हूँ।
मैं हिन्दी हूँ, मैं हिन्दी हूँ।

कविता कुसुमाकर ने पढ़ा =
प्यारी प्यारी हिंदी मेरी
प्यारा हिंदुस्तान है
हिन्दू,मुस्लिम, सीख, ईसाई
ये सबकी पहचान है!

नमिता गुप्ता “मनसी”बोली =
“हमारी हिन्दी” महकती रही आंगन में
कभी तुलसी की तरह..
कभी नीम बनकर..
उसने जन्मीं न जानें कितनी ही भाषाएं
कभी बीज की तरह..
कभी पौध बनकर..।

कविता मधुर ने कहा =
आओ अपनी हिन्दी भाषा का मिलकर उत्थान करें
भावों से जिसने सींचा मन उसका हम यशगान करें ।

संगीता आत्रेय ने कहा =
दिल करता है मेरा कि अब लब ना खोलू मैं ,
केवल खामोशी को समझो और उसी से बोलूं मैं,
दुनिया ने कब किसको दिल से अपनाया ।
मतलब पूरा होते ही सबने उसको ठुकराया।

राजकुमारी ने पढ़ा =
क्यों धुमिल अब हो रही एक शिक्षक की गरिमा महिमा,
क्यों कमी अब आ रही एक शिक्षक के सम्मान में,

शालिनी ने पढ़ा =
जैसे माथे पे बिंदी,
भाती है मुझे हिंदी

प्रतिभा त्रिपाठी ने कहा =
प्रातः वंदन उन गुरुओं को जिनसे हमको ज्ञान मिला ।
जीवन पथ पर सार्थकता से जीने का अभिज्ञान मिला।
वंदन उन चरणों का जिससे बहती है सुधि की सरिता
कठिन चुनौती से लड़ने का विपदा में संज्ञान मिला!

शोभा विजय ने पढ़ा =
हे राष्ट्र के तुम कर्णधार
महिमा तुम्हारी है अपरंपार
गुरु द्रोणा की संतान हो तुम
स्वराष्ट्र का अभिमान हो तुम।

पूनम पंडित ने पढ़ा =
मन में यही प्रतिज्ञा लेकर सबको आगे आना है।
आओ सबको मिलकर हिंदी भाषा को महकाना है।
आँच आने पाये ना माता के गौरव पर कभी !
अपनी मातृ भाषा को और समृद्ध बनाना है।

शशि कौशिक ने अपने विचार यूँ रखे = कैसे सिमरन करूं आपका मेरे गुरुवर
मैं तो भटकी थी इस भवसागर के अंधकार में
ज्ञान के प्रकाश से भर दिया मेरा कण कण
मैं तो उलझी थी इस निर्मोही संसार में,
अच्छाई का मार्ग दिखाकर कर दिया मेरा रोम रोम पुलकित

गुरु आपके कर कमलों से ही जीवन ग्रंथ मेरा लिखा जाएगा
मिलेगी जब जब मुझे सफलता पहले आपका ही नाम आएगा।
-शोभा रतूड़ी

डॉ सुबोध जी अपने अंदाज में कुछ यूँ बोले =तेरी हिम्मत को दाद देता हूं,
मेरी राजभाषा हिंदी l
अपनो के तिरस्कारों के बाद भी,
तेरी आन, बान, शान कायम है!”

पूनम सिंघल ने पढ़ा =
मां की डांट मां का दुलार
किसको मिलता यह उपहार
होते वह किस्मत वाले
जिनको मिलने मां का प्यार
मां को नाराज करना तेरी भूल है
मां के कदमों की मिट्टी जन्नत का फूल है

आन विराजो मेरे आंगन गौरा पुत्र गजानन जी।
आकर हमको दर्शन दे दो
करते है अभिनंदन जी।
अपना वाहन लेकर आना सुनो तरुण की बात को,
ढेरों मोदक है बनवाए,
जी भर कर तुम खाना जी‌।

इस अवसर पर गणेश चतुर्थी के उपलक्ष में बाल कलाकार प्रत्यक्ष शर्मा द्वारा पहली बार गणेश वंदना की प्रस्तुति की गई!
इस मौके पर तरुण कलमकार इनके अतिरिक्त यशपाल चौधरी, पूजा शर्मा, अर्चना शर्मा ,रवि कुमार विश्नोई ,अंकित चौधरी, अंकित विश्नोई, नितिन, रिंकू मुकेश नादान ,अल्पना त्यागी ,मंजू शर्मा ,आदि उपस्थित रहें । कार्यक्रम की आयोजिका चित्रा त्यागी रहीं ।अंत में अध्यक्षा सुषमा श्सवेराश्ने सभी अतिथियों और कार्यक्रम सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। बताते चले कि अन्नपूर्णा ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष ब्रजभूषण गुप्ता का इस सराहनीय आयोजन में विशेष योगदान रहा।

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