देश दुनिया में दोषियों को सजा देने और उनका बहिष्कार कर समाज की मुख्यधारा से अलग किए जाने तो कुछ को जो सरकारी सेवाओं में है उनकी गलतियों के लिए समय से पहले सेवानिवृति देने की व्यवस्था बरसों से चली आ रही है। पिछले दिनों लगभग ४०० सरकारी हुक्मरानों के भ्रष्टाचार की जांच भी शुरू हुई। पिछले लगभग एक दशक में कितनों को ही सेवानिवृति के साथ ही कुछ को जेल भी भेजा गया। कई मुकदमों का सामना भी कर रहे हैं।
मगर जहां तक देखने में आ रहा है। जिन लोगों को विभिन्न प्रकार की सजाएं लापरवाही धोखाधड़ी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए झेलनी पड़ रही है उनसे ऐसे कार्याे में संलग्न लोग इतनी सीख नहीं ले रहे हैं जितनी भ्रष्टाचारियों झूठे व धोखाधड़ी करने वालों को समय से सजा ना मिलने से यह सोचकर कि जब यह बच रहे हैं तो हमारा क्या होगा नियम नीतियों और समाज विरोधी कार्य करने वालों में जितनी कमी आनी चाहिए थी उतनी शायद आ नहीं रही है। पाठक समाचार पत्रों में पढ़ते होंगे कि फर्जी डिग्रियों के आधार पर कई साल से कर रहा था काम। मास्टरजी और डॉक्टर एक एक व्यक्ति के नाम पर अनेक व्यक्ति सरकारी नौकरियां करते हुए उसका लाभ उठा रहे हैं। कुछ दिन पहले एक खबर पढ़ने को मिली थी कि एक टीचर फर्जी डिग्री पर कई जिलों के स्कूलों में पढ़ाकर वेतन ले रही थी क्योंकि हर स्कूल से छुटटी बहाने लेकर ली जाती थी और दूसरी जगह काम को अंजाम दिया जाता था। अभी खबर पढ़ी कि लिपिक ही अधिकारी के हस्ताक्षर कर सीएम पोर्टल पर जनशिकायतों का निस्तारण संतुष्ट होने के या कई बार अधिकारी को पता नहंीं और वह फाईलों का निस्तारण करते रहे। जहां तक दिखाई दे रहा है ऐेसे कार्यों में संलग्न लोगों के खिलाफ कार्रवाई होने के बाद भी ऐसा काम करने वालों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। अगर इंटरनेट पर देखा जाए तो ज्यादातर मामलों में फर्जी डिग्रियों के माध्यम से काम करने वाले या अफसर के चहेते बाबू या अपनी नियुक्ति से ज्यादा शान ओ शौकत में रहने वाले ऐसे कार्य को अंजाम दे रहे हैं। मुझे लगता है कि भ्रष्टाचार लापरवाही में दोषी पाए जाने वालो पर समय से कार्रवाई ना होना और अदालत का सहारा लेकर कार्रवाई को टालते रहना और अधिकारियों द्वारा यह सोचकर कि मामला उखड़ा तो कहीं वो भी ना फंस जाए और कुछ की यह सोच कि जो होगा देखा जाएगा। समाज में इन कुरीतियों को बढ़ावा दे रही है। जो सही नहीं है। मेरा मानना है कि थोड़ा बहुत तो नजरअंदाज करना चाहिए क्योंकि छोटी बातों पर विवाद उत्पन्न करने से नीतियां प्रभावित होने का खतरा बना रहता है और उसके बुरे परिणामों से भी इनकार नहीं कर सकते। लेकिन जो मामले लगते हैं कि सही हैं और इनसे समाज को नुकसान विकास प्रभावित और सरकारी नीतियों का उल्लंघन हो रहा है ऐसे मामलों में शामिल लोगों के खिलाफ राष्ट्र और समाजहित में समयानुसार कार्रवाई होनी ही चाहिए। भले ही आगे चलकर उसके परिणाम कुछ भी क्यों ना हो क्योंकि कभी कभी बड़े नुकसान को रोकने के लिए छोटे खतरों और नुकसानों को भुगतना वक्त की आवश्यकता होती है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राष्ट्र और समाजहित में दोषियों के खिलाफ समयानुसार होनी ही चाहिए प्रभावी रूप से कार्रवाई
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