नई दिल्ली 25 नवंबर। सरकार अब लोगों को सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ FIR दर्ज करने में सक्षम बनाएगी. डीपफेक जैसे ऑब्जेक्शनेबल कंटेंट से पीड़ित होने की स्थिति में सरकार IT रूल्स के उल्लंघन के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ FIR दर्ज करने में नागरिकों की मदद भी करेगी. हाल ही में देखा गया कि सोशल मीडिया पर फिल्म एक्टर्स और राजनेताओं के डीपफेक वीडियो वायरल हुए. अब सरकार ऐसे मामलों से सख्ती से निपटने के लिए बड़े कदम उठा रही है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि मिनिस्ट्री एक प्लेटफॉर्म डेवलप करेगी. इस प्लेटफॉर्म पर यूजर्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स द्वारा IT नियमों के उल्लंघन के बारे में जानकारी दे सकते हैं. इससे डीपफेक वीडियो बनाने वालों पर नकेल कसने में मदद मिलेगी.
सरकार ने यूट्यूब और फेसबुक सहित सोशल मीडिया कंपनियों को आपत्तिजनक सामग्री को लेकर आगाह किया है।सरकार ने इन इकाइयों को अपने उपयोगकर्ताओं को लगातार यह बताने के लिए कहा है कि भारत का कानून उन्हें आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करने की अनुमति नहीं देता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को कहा कि उनका मंत्रालय एक मंच तैयार करेगा जिस पर उपयोगकर्ता सोशल मीडिया मंचों द्वारा आईटी नियमों के उल्लंघन की जानकारी साझा कर पाएंगे। मंत्री ने कहा, ‘मंत्रालय उपयोगकर्ताओं को आईटी नियमों के उल्लंघन के बारे में सूचित करने और प्राथमिकी दर्ज करने में सहायता करेगा।’
सोशल मीडिया मंचों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद चंद्रशेखर ने पत्रकारों से कहा, ‘आईटी नियमों का उल्लंघन बिल्कुल बर्दाश्त नहीं (जीरो टॉलरेंस) किया जाएगा।’ मंत्री ने कहा कि मध्यस्थों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और यदि वे इसकी जानकारी देते हैं कि सामग्री कहां से आई है तो सामग्री साझा करने वाले पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया मंचों को आईटी नियमों के मुताबिक बदलाव करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है।
चंद्रशेखर ने कहा कि अगर सोशल मीडिया कंपनियां किसी सामग्री को हटाने के बजाय उन्हें फर्जी या डीपफेक करार देती है तो सरकार को इससे कोई परेशानी नहीं होगी। मंत्रालय इसके लिए एक अधिकारी नियुक्त करेगा जो अक्टूबर 2022 में अधिसूचित आईटी नियमों में नियम 7 के क्रियान्वयन का कार्य देखेगा।
चंद्रशेखर के अनुसार इस कदम से भ्रामक एवं आपत्तिजनक सामग्री से प्रभावित लोगों को सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने में मदद मिलेगी। मंत्रालय एक ऐसा मंच तैयार करेगा जिसके माध्यम से प्रभावित लोग बिना किसी असुविधा के सरकार को नियमों के उल्लंघन के बारे में जानकारी दे सकते हैं।
मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही एक ढांचा भी तैयार किया जाएगा जो ऐसे लोगों को सोशल मीडिया कंपनियों या मध्यस्थों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने में सहायता करेगा। आईटी नियम की धारा 7 के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि अगर सोशल मीडिया कंपनियां सरकार द्वारा स्थापित दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती हैं तो उनसे मध्यस्थ का दर्जा छीन लिया जाएगा।
चंद्रशेखर ने कहा, मंत्रालय सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री से जिस तरह निटपता है उसमें आज से थोड़ा बदलाव किया जाएगा। पहले भी नियमों के उल्लंघन होते रहे हैं मगर हम सभी मामलों में विभिन्न कारणों से प्रतिक्रिया नहीं दे पाते थे मगर अब आईटी नियमों का उल्लंघन बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नियमों का उल्लंघन होने पर मध्यस्थों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और अगर आपत्तिजनक सामग्री के मूल स्रोत का खुलासा करते हैं तो ऐसी सामग्री डालने वाली इकाई या लोगों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।