मेरठ 31 मई (प्र)। प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) के जोनल ऑफिस लखनऊ ने सीसीएसयू के पूर्व कुलपति प्रो. रामपाल सिंह, पूर्व वित्त नियंत्रक चंद्र किरण सिंह और प्रो. हरेंद्र सिंह बालियान के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। सीसीएसयू के अधिकारियों से तीनों का पूरा रिकॉर्ड मांग लिया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय के असिस्टेंट डायरेक्टर जय कुमार ठाकुर ने धन-शोधन निवारण अधिनियम 2002/प्रीवैंशन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट 2002 की धारा 52 के अन्तर्गत समस्त रिकार्ड मांगा है। ईडी ने तीनों के आधार कार्ड, पैन कार्ड, वेतन आदि के बैंक अकाउंट, ब्रांच का नंबर व नाम मांगे हैं। तीनों के द्वारा जमा की संपत्ति का ब्योरा, इनके वर्तमान पते की जानकारी देने के लिए कहा गया है।
इसके साथ ही तीनों के विरुद्ध समस्त जांच रिपोर्ट, चार्जशीट और उनके द्वारा दिए गए अपने कथन-पक्ष की प्रतियां भी मांगी हैं। तीनों द्वारा किए गए गबन, अनियमित्ताओं के बारे में भी जानकारी देने को कहा गया है। पद पर रहते हुए कितना वेतन इनको दिया जाता था, इन तमाम बिंदुओं पर जानकारी देने के लिए कहा गया है।
सीसीएसयू में दो मार्च 2003 को प्रो. आरपी सिंह ने कुलपति बने थे। कैंपस में वैसे तो तमाम कुलपतियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, लेकिन प्रो. आरपी सिंह के कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया था। ये तमाम शिकायतें राजभवन से लेकर राष्ट्रपति तक पहुंची तो जांच शुरू हुई थी। उच्च स्तरीय जांच में प्रो. आरपी सिंह द्वारा करोड़ों रुपये की घूस लेकर डेढ़ सौ से ज्यादा बीएड एवं दूसरे सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों को गलत तरह से मान्यता देने की बात सामने आई। आरपी सिंह के कार्यकाल में भवनों के ठेकों में भारी घपले हुए। नियुक्तियों में अनियमितताएं हुईं। सीपीएमटी की प्रवेश परीक्षा में अपने चहेते शिक्षक प्रो. हरेंद्र सिंह बालियान को एडवांस में एक करोड़ 40 लाख रुपये का पेमेंट करा दिया गया।
संदीप पहल ने की थी राजभवन में शिकायत
सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट डॉ. संदीप पहल की शिकायतों पर राजभवन ने आरपी सिंह को दोषी माना था। 27 जून 2005 को उनकी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आरपी सिंह को बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्तगी के खिलाफ आरपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की लेकिन कोर्ट ने सबूत और गंभीर आरोपों के चलते उनकी याचिका को खारिज कर दिया। आरपी सिंह के खिलाफ इन तमाम मामलों में विजिलेंस की तरफ से मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई। लेकिन राजनीति संरक्षण के चलते आज तक कुछ नहीं हुआ।
बताते चले कि बर्खास्तगी के कई साल बाद आरपी सिंह को जोधपुर में कुलपति नियुक्त किया गया। इसके बाद उनको अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती विवि कुलपति बनाया गया। सितंबर 2020 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने कुलपति प्रो. आरपी सिंह और उनके निजी गार्ड रणजीत सिंह को दो लाख 20 हजार की रिश्वत के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया। एसीबी जयपुर और अजमेर की टीमों ने नागौर के एक प्राइवेट कॉलेज में सीटें बढ़ाए जाने के मामले में ली गई घूस के मामले में कार्रवाई की।