नई दिल्ली, 03 नवंबर। लिंग परिवर्तन कराकर महिला बनने वाले ट्रांसजेंडर घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत की मांग कर सकते हैं या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई करने के लिए अपनी सहमति दे दी है। हालांकि इस मामले की सुनवाई होने में अभी एक साल से ज्यादा का समय है। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 2025 में करने की बात कही है। शीर्ष अदालत ने तब तक याचिकाकर्ता पति व उसकी अलग रह रही पत्नी के वकील को दलीलें पूरी करने को कहा है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने 30 अक्तूबर को इस मामले में आदेश दिया था। जिसमें कहा गया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर हम 2025 में सुनवाई करेंगे। आदेश में कहा गया था कि कैविएट के तहत पेश वकील ने आधिकारिक नोटिस दिया है। इसे हम स्वीकार करते हैं। महिला की अपील पर उन्हें जवाबी हलफनामा देने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया जाता है। इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का वक्त दिया मिलेगा। पीठ ने कहा इस मामले को सुनवाई के लिए 2025 में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
बता दें कि इस मामले में पति ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 16 मार्च के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। हाईकोर्ट ने कहा था कि एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति जो लिंग परिवर्तन सर्जरी कराकर महिला बनने का विकल्प चुनता है, वह घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत मांग सकता है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था। निचली अदालत ने पति को अलग रह रही पत्नी को हर महीना 12 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था।