Monday, December 23

मुकदमे से पहले लंबे समय तक जेल में रखना गलत: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, 09 दिसंबर। दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गत दिवस बेनॉय बाबू को जमानत दे दी। पीठ ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद आरोपपत्र दाखिल किए गए, लेकिन मुकदमा चलाने के लिए अभियोग तय नहीं हुआ। ऐसे में मुकदमे से पहले लोगों को लंबे समय तक सलाखों के पीछे नहीं रख सकते, यह उचित नहीं है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने जमानत देते हुए कहा कि शराब बनाने वाली कंपनी पेरनोड रिकॉर्ड के अधिकारी आरोपी बेनॉय बाबू के बारे में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच किए गए मामलों में विरोधाभास था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी पिछले 13 महीने से अधिक समय से जेल में है और अभी तक मामले में मुकदमा चलाने के लिए आरोप भी तय नहीं हुए हैं। आरोपी के अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ से कहा कि उनके मुवक्किल बिनॉय बाबू के खिलाफ पूरी तरह से फर्जी और मनगढ़ंत तरीके से मामला दर्ज किया गया है।

याचिकाकर्ता अभियोजन पक्ष के गवाह, पर उन्हें आरोपी बनाया
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सीबीआई के मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह हैं, लेकिन ईडी के मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया। बता दें कि आरोपी बेनॉय बाबू ने हाईकोर्ट द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद शीर्ष अदालत में अपील दाखिल कर जमानत की मांग की थी।

दोनों पक्षों ने रखी दलीलें
ईडी के अनुसार, बाबू ने 27 मार्च, 2021 को विजय नायर (मामले के एक अन्य आरोपी) से मुलाकात की, लेकिन मसौदा उत्पाद शुल्क नीति की घोषणा 22 मार्च, 2021 को पहले ही कर दी थी। पीठ ने ईडी के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से सवाल पूछा। इसके जवाब में राजू ने कहा कि बाबू वास्तव में 27 मार्च, 2021 को नायर से मिले थे।

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