गांव देहात शहरों को सुंदर और स्वच्छ दर्शाने के लिए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही ज्यादातर प्रदेश सरकारें भी इस मामले में काम कर रहे हैं। जहां तक जानकारी है समय समय पर जिला स्तर पर होने वाली गोष्ठियों में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा स्वच्छता बनाने के लिए कूड़ा उठवाने और नालियों की सफाई कराने के लिए गांव व शहरों के मार्गो पर सफाई का आदेश और संदेश जिम्मेदारों को दिया जाता है। पता नहीं कि वो उन तक पहुंचता है या नहीं वरना जिस प्रकार से आबादी को जोड़ने वाले मार्गो पर कूड़े के ढेर और गंदगी का अंबार लगा दिखाई देता है ऐसा नहीं होता। हम सोचते थे कि यूपी में ही ऐसा होता है लेकिन बीते दिनों उत्तराखंड जिसे देवभूमि और देश का प्रमुख पर्यटन स्थल भी कहा जाता है। को जाने वाले इसके प्रवेश द्वार पर जो गांव व कस्बे पड़ते हैं उन पर जो कूड़े के ढेर सड़क किनारे पड़े दिखाई दिए और उनसे उत्पन्न बदबू का यह हाल लगा कि यह व्यवस्था सभी एक जगह एक समान है और बड़े नगरों में और भी ज्यादा हाल बुरा है। स्टेशन से उतरकर जब परदेशी शहरों और महानगरों में जाते हैं तो सर्वप्रथम उनका सामना गंदगी से होता है। एक बार एक जिले के प्रभारी मंत्री को कहते सुना था कि नगरों के प्रवेश द्वारों पर सफाई होनी चाहिए क्योंकि सैलानी यह तक करता है कि इस शहर की सफाई का क्या हाल होगा। इस बात को कई वर्ष हो गए मगर ग्रामीण कहावत कि वो तो कानों में तेल डाले बैठा है इसलिए उसे सुनाई नहीं देता कुछ कुछ सफाई से जुड़े विभागों के अफसरों का भी यही हाल नजर आता है वरना जो कूड़े और गंदगी के ढेर शहरवासियों को बीमारियां बांट रहे हैं वो नजर नहीं आते। अपने शहर मेरठ के सिटी रेलवे स्टेशन हापुड़ से आने वाले मार्ग पर जो भयंकर कूड़ा नजर आता है वो क्यों है जबकि सभी जगह पार्षद अैर ग्राम प्रधान हैं। वो आखिर इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे पा रहे हैं। वो यह क्यों नहीं सोचते कि उनकी लापरवाही से देश के मुखिया का अभियान प्रभावित हो रहा है। वो भी उन परिस्थितियों में जबकि सफाई के लिए हर संभव सरकार बजट और सुविधाएं उपलब्ध करा रही है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
जरा सोंचे! मुख्य मार्गो पर मौजूद कूड़े के ढेर और गंदगी बाहर से आने वालों को हमारे बारे में क्या संदेश दे रही है
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