मेरठ 11 नवंबर (प्र)। कानपुर के अपर नगर आयुक्त अमित कुमार भारतीय 1100 करोड़ के जमीन घोटाले में फंस गए हैं। मामला मेरठ का है। 1972 में मोदी रबर कंपनी को सरकार ने 117 एकड़ जमीन लीज पर दी थी। मोदी रबर कंपनी ने जमीन को 2010 में जर्मनी की कंपनी कॉन्टिनेंटल को बेच दिया। इस जमीन की कीमत मौजूदा सर्किल रेट के हिसाब से करीब 1100 करोड़ रुपए है।
उस वक्त अमित कुमार भारतीय मेरठ में सरधना के एसडीएम थे। उन्होंने इस जमीन का फर्जी तरीके से दाखिल खारिज कराया था। तत्कालीन कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने मामले में तीन अधिकारियों की कमेटी गठित करके जांच कराई। जांच में आरोप सही पाए जाने पर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। अब विभागीय जांच कानपुर के मंडल आयुक्त अमित गुप्ता को दी गई है। उन्होंने कहा, ‘मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर जांच रिपोर्ट मांगी गई है, तो संबंधित अधिकारी की जांचकर रिपोर्ट भेजी जाएगी।’
मैसर्स मोदी रबर लिमिटेड को 1972 में 30 वर्ष के लिए मोदीपुरम में 117 एकड़ सरकारी जमीन गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के अंतर्गत लीज पर दी गई थी। मोदी रबर ने 2010 में इस जमीन को जर्मनी की कंपनी कॉन्टिनेंटल को बेच दिया था। 2020 में सरधना के तत्कालीन एसडीएम अमित कुमार भारतीय ने इस जमीन का दाखिल खारिज कॉन्टिनेंटल के नाम कर दिया था।
आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने तत्कालीन कमिश्नर सुरेंद्र सिंह से शिकायत करते हुए मोदी रबर पर अरबों की जमीन का घोटाला करने का आरोप लगाया था। बताया था कि सरकार की श्रेणी 1 (ख) की यह भूमि है, जिसका नामांतरण या हस्तानांतरण नहीं हो सकता। कमिश्नर ने तीन आईएएस अधिकारियों तत्कालीन अपर आयुक्त वी.चैत्रा, एमडीए वीसी मृदुल चौधरी, एसडीएम सदर संदीप भागिया से इस मामले की जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। जांच के बाद लोकेश खुराना ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी डाली थी।
जांच रिपोर्ट के आधार पर अब शासन ने तत्कालीन एसडीएम सरधना अमित कुमार भारतीय को इस मामले में प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए उन्हें आरोप पत्र जारी किया है। साथ ही उन पर आरोपों की जांच के लिए कानपुर मंडलायुक्त को जांच अधिकारी नियुक्ति किया है।