लखनऊ 05 दिसंबर। देव उठानी एकादशी से शुरू हुआ विवाह का सिलसिला 15 दिसंबर तक जारी रहेगा। दिसंबर में केवल चार मुहूर्त बचे हैं। बृज भूमि पंचांग के अनुसार दिसंबर के महीने में 7, 8, 9, 15 दिसंबर को ही विवाह हो सकता हैं। आगे सूर्यदेव 16 दिसंबर को गुरु की धनु राशि में प्रवेश करेंगे व 14 जनवरी तक इसी राशि में गतिशील रहेंगे।
सूर्य की धनु राशि काल को खरमास कहा जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नवीन कार्य वर्जित माने गए हैं। इसलिए 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक सभी मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। 15 जनवरी से मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होगा।
एक महीने तक रहते हैं
ज्योतिष ने बताया कि सूर्य प्रत्येक राशि में एक महीने तक रहते हैं और जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो वह माह खरमास के नाम से जाना जाता हैं व खरमास का महीना मांगलिक कृत्यों के लिए वर्जित हैं। खरमास के पीछे का क्या हैं पौराणिक कथा खर का तात्पर्य गधा से हैं। मार्कंडेय पुराण के अनुसार सूर्य सात घोड़े के रथ से इस सृष्टि की यात्रा करते हैं।
परिक्रमा के दौरान सूर्य को एक क्षण भी रुकने और धीमा होने का अधिकार नहीं हैं। लेकिन अनवरत यात्रा के कारण सूर्य के साथ घोड़े हेमंत ऋतु में थककर तालाब के पास रुकते हैं, ताकि पानी पी सके। सूर्य को अपना दायित्व याद आ जाता है और वह रुक नहीं सकते। चाहे घोड़ा भले ही रुक जाए यात्रा को जारी करने के लिए तथा सृष्टि पर संकट ना आ जाए। इसलिए भगवान भास्कर तालाब के समीप खड़े दो गधो को रथ में जोड़कर यात्रा जारी रखते हैं। गधे अपने मंद गति से पूरे मास में ब्रह्मांड की यात्रा करते हैं। इस कारण सूर्य का तेज बहुत कमजोर हो जाता है। इस महीने धूप भी कम दिखाई देती है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव फिर अपने साथ घोड़ा को रथ में लगाकर यात्रा आरंभ करते हैं व मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
चित्त सांसारिक बैराग्य की ओर सहज उन्मुख होता हैं। इसी कारण यह महीना धैर्य अहिंसा व भक्ति के लिए जाना जाता हैं। इसलिए इसे नारायण का महीना कहते हैं।