लखनऊ 11 दिसंबर। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इस तरह मायावती ने सार्वजनिक मंच से उत्तराधिकारी घोषित करने की पार्टी की परंपरा को कायम रखा। अब से ठीक 22 साल पहले तत्कालीन पार्टी प्रमुख कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। उन्होंने भी लखनऊ में एक सभा में मंच से इसका ऐलान किया था। उस समय खासी राजनीतिक हलचल मची थी। कांशीराम के फैसले पर सवाल उठाए गए थे। लेकिन, कांशीराम ने मायावती की प्रतिभा का देखते हुए उन्हें यह पद देने का ऐलान किया था। इस घोषणा के करीब 6 साल बाद वर्ष 2007 में मायावती पूर्ण बहुमत की सरकार यूपी में बनाने में कामयाब हुई थीं।
आकाश आनंद मायावती के भाई आनंद कुमार के बेटे हैं. उन्होंने स्कूली पढ़ाई गुरुग्राम से और उच्च शिक्षा विदेशों से की है. हाल ही में आकाश की शादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ प्रज्ञा सिद्धार्थ से हुई है.
बीएसपी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद अब घोषित तौर पर मायावती के उत्तराधिकारी होंगे. आकाश का राजनीति में प्रवेश 2017 में हुआ, जब वो मायावती के साथ सहारनपुर में एक कार्यक्रम में मंच पर दिखे. इसके बाद वो अक्सर पार्टी की बैठकों में भी शामिल होते रहे और धीरे-धीरे उनका राजनैतिक कद भी बढ़ता गया. मायावती ने उन्हें नेशनल कॉर्डिनेटर बनाया है. हाल ही में हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम के चुनाव में आकाश को ज़िम्मेदारी दी गई थी.
बीएसपी वर्तमान में अपने सबसे ख़राब दौर से गुज़र रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को सिर्फ 19 सीटें मिलीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में पार्टी को 10 सीटें हासिल हुईं, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी सिर्फ एक सीट पर सिमट गई. अब आकाश आनंद को न सिर्फ उत्तर प्रदेश में सक्रिय होकर काम करना होगा, बल्कि पूरे देश में पार्टी के संगठन को खड़ा करने के लिए सक्रिय रूप से ज़िम्मेदारी निभानी होगी.
बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लग गई है. मायावती ने 2024 का चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर रखी है. फ़िलहाल मायावती ने एनडीए और न इंडिया अलायंस के साथ जाने के मूड में हैं. पार्टी आम तौर पर चुनाव से काफ़ी पहले अपने प्रत्याशियों की घोषणा करती आई है. माना जा रहा है कि 2024 के लिए भी बीएसपी प्रत्याशियों के नाम तय कर सकती है.
उत्तराधिकारी बनने के बाद आकाश के सामने कई चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मायावती जिस तरह कठिन परिस्थितियों से पार्टी को निकालकर लाई थीं, क्या वह ऐसा करिश्मा कर पाएंगे? युवाओं को जोड़ने के साथ वरिष्ठों के साथ तालमेल बैठाकर कैसे पार्टी को आगे ले जाएंगे। पार्टी ने उनको लगातार बड़ी जिम्मेदारियां दीं, लेकिन अब तक वह कुछ खास चमत्कार नहीं कर पाए हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले देश भर में संगठन की जिम्मेदारी उनको दी गई है। बेहतर नतीजों के जरिए उत्तराधिकार की जिम्मेदारी पर उन्हें खरा उतरना होगा। अगर वे संगठन पर पकड़ बनाने में मजबूत हुए तो उन्हें भी मायावती की तरह बड़ी सफलता मिल सकती है।