मेरठ 19 दिसंबर (प्र)। 34 लाख के छात्रवृत्ति घोटाले में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने 12 साल बाद एक मदरसे के संचालक और कोषाध्यक्ष को गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ गबन और धोखाधड़ी के अलावा भ्रष्टाचार का भी मुकदमा दर्ज है। इस मामले में ईओडब्ल्यू तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम के तत्कालीन पटल सहायक संजय त्यागी को जेल भेज चुकी है। बागपत अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पद पर रहते हुए सुमन गौतम को सस्पेंड कर दिया गया था। हाल में सुमन गौतम सहारनपुर में तैनात हैं। उनकी गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है।
ईओडब्ल्यू की मेरठ यूनिट ने हापुड रोड पर स्थित डा. जाकिर हुसैन कालोनी निवासी हाजी शरीफ सैफी और लिसाड़ी गेट थाने के विकासपुरी मोहल्ला निवासी अजरा पत्नी दिलशाद मलिक को गिरफ्तार कर लिया। दोनों 12 साल से फरार चल रहे थे। उनके खिलाफ सिविल लाइंस थाने में वर्ष 2015 में गबन और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ था। जांच के बाद 2018 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का मुकदमा लिखा गया ।
हाजी शरीफ सैफी जाकिर कालोनी स्थित मदरसा सैफुल इस्लाम के संचालक थे। उन पर साथियों संग मिलकर 2012 में छात्रवृत्ति के 3,69,975 रुपये गबन करने का आरोप है। मदरसा न्यू डीएम पब्लिक जूनियर हाईस्कूल की कोषाध्यक्ष अजरा पर दस लाख 95 हजार के गबन का आरोप था। उसके बाद से दोनों आरोपित फरार चल रहे थे।
बता दें कि वर्ष 2009 से 2012 में सरकार ने चार मदरसों (सिवाल हाईस्कूल, न्यू सिवाल इंटर कालेज, सिवाल मकतब, सिवाल फकोनिया) के प्रबंधक मुश्ताक अहमद के खाते में छात्रवृत्ति के 34 लाख रुपये भेजे गए थे। उसके बाद ईओडब्ल्यू की जांच में अल्पसंख्यक छात्रों के नाम से छात्रवृत्ति हड़पने वाले 96 स्कूल- मदरसों के प्रधानाचार्य व प्रबंधकों का नाम सामने आया था। घोटाले में 250 लोगों को आरोपित बनाया गया था।