Wednesday, October 15

सिर्फ ओजोन परत दिवस मनाने से कुछ होने वाला नहीं है! सरकार इस क्षेत्र में जागरूकता लाने का काम कर रहे शिक्षाविद डॉ. कर्मेंद्र सिंह जैसे मानवीय सोच वाले व्यक्तियों को दे प्रोत्साहन

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बढ़ते प्रदूषण और असंतुलित होते पर्यावरण संरक्षण और गंदगी के साम्राज्य को समाप्त करने के प्रति अगर अभी भी जागरूक नहीं हुए तो ओजोन परत की उपयोगिता एवं संरक्षण पर केंद्रित गतिविधियां बाधित होंगी और उसके परिणाम किसी भी रूप में सही नहीं कहे जा सकते। वर्तमान समय में ओजोन परत संरक्षण की बड़ी आवश्यकता है। अगर हम समय से नहीं जागे तो नागरिकों को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। बीते दिवस पूरी दुनिया में ओजोन दिवस मनाया गया। इसके तहत जागरूकता रैलियां पर्यावरण संरक्षण गोष्ठियों के साथ ही स्कूल कॉलेजों और ओजोन परत से संबंध विषयों पर अनुबंध भी संस्थाओं में हुए। छात्रों ने रैली निकालकर और पोस्टरों से जागरूकता फैलाई।
हम हर वर्ष ओजोन दिवस मनाते हैं और हर स्तर पर इसे लेकर चर्चा होती हैं। सुधार के संकल्प भी किए जाते हैं। कई जगह नुक्कड़ नाटक के माध्यम से संदेश दिया जाता है लेकिन यह समस्या सुरसा के मुंह की भांति बढ़ती जा रही है और जितना इसकी रोकथाम के लिए कोशिश हो रही है मगर सफलता ना मिलने से यही कह सकते हैं कि ज्यो ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया। प्रिय पाठकों जानकार कहते हैं कि अब स्थिति यह आ गई है कि नंगी आंखों से हम आसानी से सूर्य को भी नहीं देख पाते क्योंकि इसकी किरणें भी प्रभावित हो रही है और ऐसा ही चला तो कई नुकसान मानव जाति को झेलने पड़ सकते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा भाव से सक्रिय शिक्षाविद वर्तमान में गुरूतेग बहादुर पब्ल्कि स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ़ कर्मेंद्र सिंह का लेख अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हुआ था जिसमें उन्होंने इससे होने वाली हानि के बारे में विस्तार से अवगत कराया था। मगर जैसा कि अन्य दिवस जो मनाए जाते हैं उनके बारे में होता है कि हम इस दिन चर्चाएं कर सुझाव देते हैं मगर रात गई तो बात गई कहावत के समान जो चर्चा और गोष्टी हुई उसकी सार्थकता समाप्त हो गई। कुछ ऐसा ही ओजोन दिवस के बारे में कह सकते हैं क्योंकि स्कूल कॉलेजों में विद्वान और वैज्ञानिक व जागरूक नागरिक इस अवसरों पर चर्चा तो करते हैं लेकिन दूसरे दिन शायद सभी भूल जाते हैं। कुछ स्कूलों में पूर्व सब एरिया कमांडर दिवंगत आरके सिंह द्वारा इको क्लबों की शुरुआत की गई थी। उन्होंने इसे आगे बढ़ाने की कोशिश जारी रखी थी लेकिन उनके निधन के बाद इको क्लब का अस्तित्व नहीं दिखाई देता। ऐसे अवसरों पर ही इको क्लब की चर्चा होती है।
मेरा मानना है कि अब सिर्फ ओजोन दिवस मनाने और चर्चा करने से कुछ होने वाला नहीं है। केंद्र व प्रदेश सरकारों को इस मामले में कुछ करने तथा डॉक्टर कर्मेंद्र सिंह जैसे उत्साही व्यक्ति जो अपने व्यस्त समय के बाद भी ऐसे जनहित के बिंदुओं पर अपनी राय रखते हैं उन्हें बढ़ावा दिया जाए। सरकार देशभर में खोज कराए और जितने इस क्षेत्र में कार्य करने के उत्साही लोग हो उन्हें इस बारे में अभियान चलाने योजना बनाने वा जागरूकता के लिए एक सहायता राशि भी हर साल उपलब्ध कराई जाए क्योंकि अगर यह ओजोन परत को हानि पहुंचाने वाले बिंदु ऐसे ही आगे बढ़ते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब इससे होने वाली हानि मानव के लिए घातक हो सकती है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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