मेरठ 20 मार्च (प्र)। नंगली तीर्थ और गंगा मेला जाने वाले श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने नंगली और मखदूमपुर को माडल गांव बनाने का निर्णय लिया है। इस बाबत जिला प्रशासन ने शासन को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसे स्वीकृति मिल गई है। इन दोनों गांवों में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए रेस्ट हाउस, आधुनिक कैंटीन और घूमने के लिए पार्क बनाए जाएंगे। नंगली तीर्थ में वर्तमान में जो आश्रम और धर्मशालाएं हैं, उन्हें भी माडल बनाया जाएगा। नंगली तीर्थ ऐसा स्थान है, जहां बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं।
500 वर्गगज में बनेगी कैंटीन : मुख्य विकास अधिकारी नूपुर गोयल ने बताया कि नंगली को जल्द ही माडल गांव बनाया जाएगा। यहां चार घरों को चिह्नित करने के बाद कैंटीन के लिए जगह देख ली है। 500 वर्गगज में आधुनिक कैंटीन बनाई जाएगी। इसमें खाने के अलावा चाइनीज फूड की भी सुविधा होगी, लेकिन यहां वेटर नहीं होंगे। काउंटर से खुद ही खाना लेना होगा।
मखदूमपुर में गंगा घाट पर लगता है मेला : मखदुमपुर गांव में गंगा घाट पर 1929 से हर वर्ष मेला लगता आ रहा है। इस मेले की शुरुआत मवाना के पत्रकार एवं आर्य समाजी रामजीदास हितैषी ने की थी। बाद में तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य एवं स्वतंत्रता सेनानी रूमाल सिंह ने इस मेले की जिम्मेदारी निभाई। देश की आजादी के बाद रूमाल सिंह पुलिस विभाग में चले गए। उसके बाद से ही यह मेला जिला पंचायत के नियंत्रण में लगता चला आ रहा है। सीडीओ ने बताया कि इस गांव में भी कैंटीन और पांच घरों को रेस्ट हाउस बनाया जाएगा। यहां भी दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
मिलेंगी घर जैसी सुविधाएं
जिन चार घरों को जिला प्रशासन चिह्नित करेगा, उनमें एक घर में चार कमरे तैयार किए जाएंगे। घर के मालिक को इन कमरों का किराया हर माह जिला प्रशासन देगा। कमरों में खाने की व्यवस्था घर स्वामी करेंगे। यहां घर का खाना और अन्य सुविधाएं मिलेंगी।
चार घरों को कर लिया है चिह्नित
हाल ही में मुख्य विकास अधिकारी नूपुर गोयल और जिला पंचायत राज अधिकारी रेनू श्रीवास्तव | नंगली गांव गई थीं। यहां उन्होंने घर चिह्नित कर इन घरों के स्वामियों को लखनऊ ट्रेनिंग के लिए | भेजा था। जिन चार घरों को चिह्नित किया था। उनके सदस्य लखनऊ में जाकर रेस्ट हाउस में सुविधा देने की ट्रेनिंग लेकर आ चुके हैं। एक घर की अभी तलाश है।
इसलिए प्रसिद्ध है नंगली तीर्थ
नंगली तीर्थ के महामंडलेश्वर स्वामी शिव प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि नंगली तीर्थ स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज की समाधि के कारण प्रसिद्ध है। मुख्य सड़क से तीर्थ तक पहुंचने के रास्ते में 84 मोड़ आते हैं। मान्यता है कि मोड़ मुक्ति द्वार हैं। यहां हर महीने की पूर्णिमा और स्वरूपानंद जी के निर्वाण दिवस के दिन देश-विदेश से करीब एक से डेढ़ लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। निर्वाण दिवस हर वर्ष वैशाख की बदी दूज यानी पूर्णिमा के दूसरे दिन मनाया जाता है। स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का जन्म एक फरवरी 1884 को हुआ था और वे पांच जुलाई 1936 को समाधिलीन हुए थे।