Friday, July 26

20, 21 या 29 सितंबर को देश में मनाया जाए नारी शक्ति वंदन दिवस! भाजपा अभी से महिलाओं को आरक्षण का लाभ देकर ?

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अभी तक महिआओं की संख्या लोकसभा में 15 प्रतिशत तथा विधानसभाओं में दस प्रतिशत होना बताया जाता है। लेकिन 1996 को महिला आरक्षण की उठी मांग के बाद अब 18 से 22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पास हो गया। अब महिलाओं के लिए यह कोटा 15 साल तक रहेगा। जिसे संसद आगे बढ़ा सकती है। बीते दिवस महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नारी शक्ति वंदन अधिनियम को स्वीकृति दे दी गई। इसके प्रावधान के अनुसार यह उस तारीख से लागू होगा जब केंद्र सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इसे निर्धारित करेगी। मेरा मानना है कि अब केंद्र सरकार को हर मोर्चे पर इस मामले में मिली सफलता को आगे बढ़ाते हुए इसे लागू करने में देर नहीं करनी चाहिए। और मुझे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव अनुपमा रावत का यह कथन सही लगता है कि भाजपा अगर महिला हितैषी है तो पांच राज्यों के चुनाव से पहले महिला आरक्षण बिल लागू करे। 20 सितंबर को लोकसभा में और 21 को राज्यसभा में यह पास हुआ ओैर अब राष्ट्रपति की स्वीकृति भी मिल गई। इसलिए पक्ष और विपक्ष में महिला बिल लागू करने को लेकर जो वाकयुद्ध चल रहा है वो समाप्त करने हेतु केंद्र सरकार को जितनी भी बाधांए किसी भी रूप में आ रही हैं उन्हें समाप्त करते हुए अपनी मंशा इस संदर्भ में साफ करनी चाहिए। साथ ही 20, 21 या 29 सितंबर में से एक तारीख को राष्ट्रीय महिला शक्ति वंदन दिवस मनाने की घोषणा करनी चाहिए।
स्मरण रहे कि लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े थे और विरोध में सिर्फ एआईएमआईएम के प्रमुख औवेशी और उनकी पार्टी के सांसद ने वोट दिया था। ऐसी चर्चा है। सब महिला आरक्षण बिल को जल्द लागू करने के पक्ष में पीछे नहीं हटेंगे। इसलिए जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया की जो बात हो रही है उसे भी 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व कराकर महिला आरक्षण की शुरूआत हो। क्योंकि 2029 के चुनाव तक इस बारे में इंतजार किया जाना महिला हित में तो है ही नहीं। विपक्षी दलों को भी इतना समय टालने के लिए सरकार की मंशा पर सवाल उठाने का मौका मिलेगा। वैसे भी पिछले 28 साल से महिला आरक्षण में ओबीसी कोटा को लेकर यह लटका हुआ था इसे पांच साल और आगे टालना मातृशक्ति के हितों को प्रभावित करना ही होगा।
मुझे लगता है कि फिर भी अगर कोई बहुत बड़ी कठिनाई या कानूनी पेंच संविधान के तहत आड़े आ रहा है तो खासकर केंद्र में सत्ताधारी दल और सरकार को अपने यहां ग्राम प्रधाान के चुनाव से लेकर लोकसभा तक महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देना शुरू करना चाहिए क्योंकि इसमें ना तो कोई संवैधानिक कठिनाई होगी और ना ही रोक टोक। हर पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ा सकती है। इस प्रकरण में महिलाओं के उसके अधिकार के लिए पांच साल तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

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