देश में महिलाएं हमेशा पूजनीय रही हैं। वर्तमान में तो आधी आबादी मातृशक्ति का हर मामले में दखल और दबदबा है। रानजीति में भी भले नेता एक दूसरे को कुछ भी कहते रहे लेकिन महिलाओं के बारे में कुछ भी बोलने से पहले कई बार सोचते हैं। राजनीति में आगे बढ़ने और ज्यादा सांसद विधायक जिताने की चाह हर दल को होती है लेकिन यह सही नहीं है कि हम इसके लिए हर गलत बात को नजरअंदाज कर दे। सपा सांसद डिंपल यादव के बारे में किसी मुददे को लेकर मौलाना साजिद रशीद द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी को किसी भी रूप में सही नहीं कहा जा सकता। यह ताज्जुब की बात है कि अभी तक सपा के सांसद और नेता इस मुददे पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं जबकि एनडीए के सांसदों ने इसे मुददा बनाकर मौलाना के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अखिलेश जी वर्तमान में मतदाता कुछ प्रतिशत की बात तो छोड़ दे तो किसी के कहने से कोई वोट नहीं देता है। अगर देता भी है तो अपने परिवार की महिलाओं के सम्मान में पीछे नहीं रहना चाहिए। वोट मिले ना मिले लेकिन मुझे लगता है कि सपा के सांसद विधायक व कार्यकर्ताओं को डिंपल यादव व अन्य महिला सांसदों के सम्मान बनाए रखने हेतु गलत बात का विरोध करना चाहिए। एनडीए के सांसद और अन्य महिला सांसद बधाई की पात्र है कि उन्होंने महिलाओं का सम्मान की परंपरा को कायम रखते हुए डिंपल यादव के मुददे पर प्रदर्शन कर लोकसभा और विधानसभा का ध्यान खींचा। अगर विपक्षी सांसद चुप रहते हैं तो पक्ष के सांसदों को यह कहने का मौका मिलेगा। ऑल इंडिया मौलाना एसो. के अध्यक्ष मौलाना राशिद को कुछ कहना था तो जब डिंपल यादव मस्जिद में सपा की बैठक में शामिल होने जा रही थी तो टोक देना चाहिए था। जैसा गुरूद्वारों में कोई व्यक्ति नंगे सिर जाता है तो उसे टोक दिया जाता है। एक टीवी डिबेट में उन्होंने जो कहा उसके लिए वह माफी मांगे।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
डिंपल के सम्मान में एनडीए के सांसदों ने किया प्रदर्शन, अखिलेश जी अब तो खामोशी तोड़िए
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