नई दिल्ली 28 नवंबर। जैसे-जैसे लोगों की रुचि डिजिटल लेनदेन की ओर बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे ऑनलाइन भुगतान धोखाधड़ी के मामलों में भी बढ़ोतरी होती जा रही है। पिछले कुछ सालों से साइबर क्राइम के मामले बढ़ते नजर आ रहे हैं, जिन पर लगाम लगाने के लिए सरकार और आरबीआई की पूरी कोशिश भी देखने को मिलती है। इसी पहल में सरकार ने ऑनलाइन भुगतान धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए दो व्यक्ति के बीच होने वाली पहली लेनदेन प्रक्रिया के लिए कुछ नियमों को लाने का फैसला लिया है।
जी हां, धोखाधड़ी के मामलों पर रोक लगाने के लिए सरकार की ओर से कुछ नियमों पर विचार किया जा रहा है। इसके तहत अगर दो लोगों के बीच पहली बार ऑनलाइन लेनदेन होगा तो इस प्रोसेस में 4 घंटे का समय लगेगा, साथ ही न्यूनतम समय सीमा लागू करने की भी योजना है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
सरकारी अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि सरकार ऑनलाइन भुगतान धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के लिए दो व्यक्तियों के बीच पहली बार होने वाले लेनदेन में कुछ बदलाव करने जा रही है। इसके तहत एक विशेष राशि से अधिक के लेनदेन के लिए न्यूनतम समय सीमा लागू करने का प्लान है। 2,000 रुपये से ज्यादा के लेनदेन के लिए दो यूजर्स के बीच पहले लेनदेन के लिए संभावित 4 घंटे की विंडो शामिल होने की संभावना है।
सरकार की ओर से प्लान किया जा रहा है कि उनकी ओर से 4 घंटे की प्रक्रिया को शामिल करने पर डिजिटल भुगतान में कुछ बाधा आ सकती है, लेकिन इससे साइबर सुरक्षा की चिंताएं भी कम हो सकती है। इस तरीके को इंस्टेंट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस), एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) और रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) के जरिए भुगतान करने पर अपनाया जा सकता है।
वर्तमान में कोई यूजर अगर ऑनलाइन लेनदेन के लिए नया यूपीआई अकाउंट बनाता है तो वो 24 घंटे में पहला लेनदेन अधिकतम 5 हजार रुपये तक कर सकता है। ठीक ऐसे ही नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) के लिए भी है, अगर आप पहली बार अकाउंट क्रिएट करते हैं तो पहली बार 24 घंटों में 50 हजार रुपये तक का लेनदेन कर सकते हैं।