प्रधानमंत्री के पैर छूना उनकी गरिमा के प्रति नतमस्तक होना कह सकते हैं तथा एक अन्य वरिष्ठ नेता के पैर छूने को अगर हम मन से किसी का आदर करते हैं तो सम्मान देने में वो किसी भी प्रकार से हो उसे गलत नहीं कहा जा सकता। लेकिन राष्ट्रगान की संवैधानिक गरिमा के हिसाब से सम्मान देना नीतीश कुमार ही नहीं सबके लिए अनिवार्य है। इसलिए जो खबरें छप रही हैं कि बीते गुरूवार को पटना के पाटलिपुत्र खेल परिसर में सहपट करा वर्ल्ड कप 2025 के उदघाटन के दौरान जब राष्ट्रगान बज रहा था तो सीएम का प्रधान सचिव दीपक कुमार के कंधे पर हाथ रखकर उनसे बात करने की कोशिश करना और फिर हंसते रहना तथा बीच में राष्ट्रगान रूकवाकर स्टेडियम का चक्कर लगवाना किसी भी रूप में सही नहीं कहा जा सकता। सब जानते हैं कि नीतीश कुमार सुलझे विचारों के राजनेता के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। ऐसा उन्होंने किन परिस्थितियों में किया यह तो वो ही जान सकते हैं। मगर राष्ट्रगान का सम्मान हर कोई करता है इसलिए फिलहाल उन पर राष्ट्रगान के अपमान का आरोप भी विपक्षी दलों द्वारा लगाया जा रहा है उसे नकारा नहीं जा सकता। दूसरी तरफ उनके खिलाफ इस बारे में मुख्य न्यायिक अधिकारी पश्चिम के कोर्ट में कांटी थाना क्षेत्र के समस्तपुर निवासी अधिवक्ता सूरज कुमार द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया गया है। आंदोलन क्या रूप लेगा यह तो भविष्य में पता चलेगा। लेकिन अगर विपक्ष अड़ गया तो विधानसभा और जनता के बीच यह मामला विवाद और आंदोलन का कारण का भी बन सकता है। इसलिए मेरा मानना है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए नीतीश कुमार को बिना शर्त पूरे बिहार और देश से क्षमायाचना करते हुए राष्ट्रगान में आस्था रखने वाले नागरिकों से माफी मांगने में कोई हर्ज भी नहीं होगा। इसलिए यह विवाद राजनीतिक आंदोलन ना बन जाए इसका ध्यान रखते हुए समय से नीतीश को तुरंत राष्ट्रगान के प्रति सम्मान व्यक्त कर इस पर पूर्ण विराम लगाना चाहिए बाकी बातों का तो अपने आप ही पटाक्षेप हो जाएगा।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राष्ट्रगान के मामले में बिना शर्त देशवासियों से क्षमा मांगे नीतीश कुमार
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