मेरठ 14 नबंवर (प्र)। दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भैया दूज का पर्व मनाया जाता है. इस तिथि का संबंध यमराज से होने के कारण इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं और उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन से तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है. इस साल भइया दूज का त्योहार बुधवार, 15 नवंबर को मनाया जाएगा. आइए आपको भाई दूज का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बताते हैं.
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट तक है। इसके पश्चात, द्वितीया तिथि शुरू होगी। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवंबर को 02 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक है। यह पर्व दिन की बेला में मनाया जाता है। अत: 14 नवंबर को दोपहर के समय से बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगा सकती हैं और कलावा बांध सकती हैं। कुल मिलाकर कहें तो सुविधा अनुसार, 14 नवंबर से लेकर 15 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक भाई दूज मना सकते हैं।
भाई दूज के दिन टीके का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से लेकर 03 बजकर 19 मिनट तक है। इस समय में बहनें पूजा कर भाई की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना कर सकती हैं। इस दिन यम द्वितीया भी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम देवता अपनी बहन यमुना जी के घर गये थे।
भाई दूज पर शाम के समय घर के बाहर बाईं ओर मिट्टी के कलश में जल भरकर रखें. इसके ऊपर सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाएं. उनसे प्रार्थना करें कि घर में रहने वाले सभी लोग दीर्घायु और स्वस्थ हों. अगले दिन सुबह कलश का जल घर के प्रत्येक कोने में छिड़क दें.