Sunday, December 22

सिम्भावली शुगर मिल और सात बैंकों के अधिकारियों की मिलीभगत से 1300 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में सीबीआई जांच के आदेश

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प्रयागराज 14 दिसंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हापुड़ की सिम्भावली शुगर्स लिमिटेड कम्पनी द्वारा बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों की धोखाधड़ी कर धन हड़पने की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। सीबीआई को छूट दी है कि यदि मनी लांड्रिंग की गई हो तो प्रवर्तन निदेशालय की मदद लेकर नियमानुसार कार्रवाई करें। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने मेसर्स सिम्भावली शुगर मिल लिमिटेड की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में एन सी एल टी के आदेश को चुनौती दी गई थी।

कोर्ट ने कहा कि आरबीआई ने 1 जुलाई 2009 को सर्कुलर जारी कर सभी बैंकों को निर्देश दिया था कि जहां पांच करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की गई हो, बैंक उसकी रिपोर्ट बैंकिंग सिक्यॉरिटी ऐंड फ्रॉड सेल को तुरंत दे। किसी बैंक ने गाइडलाइंस का पालन करना उचित नहीं समझा और एनपीए घोषित याची कंपनी को सात बैंकों से 1,300 करोड़ रुपये का लोन मिल गया। केन कमिश्नर ने भी किसानों का वर्ष 2022-23 का 376 करोड़ का भुगतान न करने वाली मिल को गन्ना खरीद की अनुमति जारी रखी और बैंक अधिकारियों ने लोन वसूली के ठोस प्रयास ही नहीं किए।

कोर्ट ने कहा कि एक बैंक का धन हड़पने के बाद याची कंपनी एक के बाद दूसरे बैंक से लोन हड़पती रही। यह भी बताया गया कि इससे पहले यूपी की चीनी मिलों पर 1700 करोड़ रुपये का बकाया था। 150 किसानों के एफआईआर दर्ज करवाने के बाद भुगतान हुआ। लेकिन, एफआईआर पर मिल के अधिकारियों के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया गया।

केन यूनियन के अधिवक्ता ने कहा कि याची मिल की तीन इकाइयों पर किसानों का 379 करोड़ का बकाया है। कोर्ट ने कहा कि मिल, बैंक अधिकारियों सहित केन कमिश्नर भी जिम्मेदार हैं। केन कमिश्नर ने भी कोई ऐक्शन नहीं लिया। करोड़ों रुपये हड़पे गए और अधिकारी मूक दर्शक बने रहे। वसूली नहीं की गई। कोर्ट के मुताबिक, आरबीआई गाइडलाइंस के विपरीत बैंक अधिकारियों द्वारा लोन देने की भी जांच की जाए।

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