मेरठ 20 दिसंबर (प्र)। 46 साल से बंद संभल का मंदिर इस समय सुर्खियों में हैं। मेरठ के शाहगासा मोहल्ले में भी 42 साल से पीपलेश्वर शिव मंदिर बंद है। यह मंदिर वर्ष 1982 में उस समय बंद कर दिया था, जब यहां पर एक पुजारी रामभोले की आरती बजाने को लेकर हत्या कर दी गई थी। मुस्लिम पक्षकारों ने यहां मजार और हिंदू पक्षकारों ने मंदिर का दावा किया था। कोर्ट से हिंदू पक्ष जीत गया, लेकिन मंदिर बंद पड़ा है।
मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुका है। मंगलवार को मंदिर की सुध ली गई तो कई लोगों का दर्द छलक आया। बताया कि 1982 तक शाहगासा में स्थित पीपलेश्वर शिव मंदिर में सुबह शाम आरती होती थी। मंदिर के पुजारी रामभोले द्वारा आरती बजाने का कुछ लोग विरोध करते थे। कई बार तनाव हुआ। छह सितंबर की शाम इस मंदिर मैं रामभोले ने आरती बजाई । मुस्लिम पक्ष ने विरोध कर दिया। दोनों समुदाय आमने सामने आ गए और तनाव गहरा गया। पता चला कि मंदिर के पुजारी रामभोले की चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई। इसके बाद शहर में आगजनी शुरू हो गई। प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया। मामला शांत हुआ तो मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता काजी जहीर अहमद ने कोर्ट में याचिका डाली कि यह मंदिर नहीं मजार है। हिंदू पक्ष के हरिशंकर शुक्ल ने दावा किया कि मंदिर है। सात वर्ष तक सिविल कोर्ट में वाद चला। बाद में कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में निर्णय सुनाया। अब यहां पर केवल दुकानें चालू हैं। मंदिर बंद है। मंदिर में एक पीपल का पेड़ है, जिसे जलाने का प्रयास किया गया है।
हिंदुओं की केवल दुकान, पूरी मुस्लिम वस्ती: शाहगासा के पूर्व पार्षद सुशील गोस्वामी ने बताया कि अब यहां हिंदुओं की सिर्फ दुकानें हैं। यह दुकान भी शाम को आठ बजे बंद हो जाती है। सुबह करीब 10 बजे दुकानें खुलती हैं।