नई दिल्ली 05 दिसंबर। विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शानदार जीत के एक दिन बाद आज सभी राजनीतिक पार्टियां नतीजों के मंथन और नई सरकारों की शक्ल तय करने में जुट गईं। सत्ता पक्ष और विपक्ष करीब पांच महीने बाद होने वाले आम चुनावों की बिसात बिछाने में भी जुट गया है। इस सब के बीच राजनीतिक विश्लेषकों और लोगों की नजर विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) की 6 दिसंबर को होने वाली बैठक पर भी टिक गई है, जिसमें इन चुनावी नतीजों की गूंज उठनी तय है।
मतगणना के अगले दिन संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो गया। भाजपा की तीन राज्यों में शानदार जीत के बाद सत्र के पहले दिन जयकार के बीच संसद भवन पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों को हार का गुस्सा सत्र के दौरान नहीं निकालने और सकारात्मक रुख के साथ आगे बढ़ने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष नौ साल की नकारात्मकता छोड़ देगा तभी उसके प्रति देश के लोगों का नजरिया बदल सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि विपक्षी दल ‘विरोध के लिए विरोध’ का तरीका छोड़ दें और देश हित में सकारात्मक चीजों में साथ दें तो देश के मन में उनके प्रति आज जो नफरत है, हो सकता है वह मोहब्बत में बदल जाए। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों को ‘बहुत ही उत्साहवर्धक’ करार देते हुए मोदी ने कहा, ‘देश ने नकारात्मकता को नकारा है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अगर मैं वर्तमान चुनाव नतीजे के आधार पर कहूं तो विपक्ष में जो बैठे हुए साथी हैं उनके लिए यह स्वर्णिम अवसर है। इस सत्र में पराजय का गुस्सा निकालने की योजना बनाने के बजाय, इस पराजय से सीखकर, पिछले नौ साल में चलाई गई नकारात्मकता की प्रवृत्ति को छोड़कर, इस सत्र में अगर सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ेंगे तो देश उनकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदलेगा।’
उनके बयान पर तिलमिलाई कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में भाजपा की हार याद दिलाने में बिल्कुल भी देर नहीं लगाई। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने जवाबी तंज करते हुए कहा, ‘अच्छा हो अगर प्रधानमंत्री हमारे भविष्य की चिंता बंद कर दें। जब कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश में भाजपा हारी थी तब सब ज्ञान गायब हो गया था।’
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी कहा कि हर चुनाव अलग होता है। उन्होंने कहा, ‘जब कांग्रेस ने कर्नाटक जीता तब प्रधानमंत्री यह नहीं बोले। जब कांग्रेस ने तेलंगाना जीता तब भी यह बात नहीं कही गई। हम जीतने वालों को बधाई देते हैं। हम देखेंगे कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में क्या हुआ।’
इस बीच बयानों से दूर विभिन्न दल आज आगे की रणनीतियां बनाने में जुट गए हैं। भारी जीत के बाद अब भाजपा के सामने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाने का काम है। कांग्रेस इन राज्यों में पराजय पर चिंतन-मनन करने की तैयारी कर रही है।
इधऱ नई दिल्ली में इंडिया गठबंधन की 6 दिसंबर की बैठक इन चुनावी नतीजों के कारण और भी दिलचस्प होने जा रही है। फिलहाल तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है।मगर इस गठबंधन के नेताओं ने कहा कि भले ही भाजपा को हिंदी पट्टी के तीन प्रदेशों में बड़ी जीत मिली हो लेकिन इसका असर विपक्ष के गठबंधन पर नहीं पड़ेगा। उनका यह भी कहना है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष को कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।