मेरठ 18 जुलाई (प्र)। महानगर का सूखा गीला कूड़ा निस्तारण न करने में नगर निगम फेल साबित हो गया। क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड में 5.20 करोड़ रुपये का निगम पर जुर्माना लगाने की संस्तुति कर दी। एनजीटी में दस्तावेज प्रस्तुत होना बताए गए। जहां आज यानी बृहस्पतिवार को सुनवाई होना बताया गया है।
लोहियानगर मंगतपुरम और गांवड़ी में कूड़े के पहाड़ लगाने की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने एनजीटी में की थी। कई महीनों से एनजीटी में मामले सुनवाई चल रही है। इसमें नगर निगम के अधिकारी बार-बार सूखा-गीला कूड़ा निस्तारण करने का दावा करते हुए दस्तावेज एनजीटी में लगते हैं। जिस पर बार-बार आपत्तियां भी हो रही हैं। इसे देखते हुए एनजीटी में एक टीम भेजकर मई 2024 में लोहियानगर गांव, नौचंदी ग्राउंड में लगे ट्रांसफर स्टेशन सहित कई जगह मुआयना कराया था।
एनजीटी में संयुक्त टीम की रिपोर्ट के आधार पर मेरठ नगर निगम की लापरवाही मानी और स्थानीय प्रदूषण बोर्ड से रिपोर्ट मांगी थी कितना कूड़ा है और कितना निगम पर जुर्माना लगाया जाए। इस प्रकरण में आज यानी बृहस्पतिवार को एनजीटी में सुनवाई होनी है। बताया कि क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड ने एक अप्रैल 2020 से एक 2024 तक कूड़ा निस्तारण न होने की बात कहते हुए वैज्ञानिक पद्धति के तहत कू 5 करोड़ 20 लाख रुपये की संस्तुति की है।
प्रदूषण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 52 महीने में नगर निगम मेरठ ने सूखा और गीले कूड़े का निस्तारण नहीं कराया। इसके चलते भूगर्भ और वायु दूषित हो रही है साथ ही निगम के अधिकारियों से कारण बताओ नोटिस भी मांगने की बात कही। शिकायतकर्ता लोकेश खुराना ने बताया कि प्रदेश और केंद्र सरकार का करोड़ों रुपया नगर निगम बर्बाद कर रहा है। सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है। यह बात निगम के अधिकारी और लखनऊ में बैठे अधिकारी और मंत्री भी जानते हैं। क्योंकि मेरठ निरीक्षण के दौरान हर बार सफाई व्यवस्था को लेकर निगम के कार्यशैली पर सवाल उठते रहे हैं। एनजीटी भी इस प्रकरण को लेकर गंभीर है। बृहस्पतिवार को सुनवाई होनी है। वहीं अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार का कहना है कि प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है बृहस्पतिवार को एनजीटी की कोर्ट में सुनवाई होनी है।
प्रदूषण बोर्ड के नोटिस का जवाब भी नहीं देता निगम
भूगर्भ और वायु दूषित होने की शिकायत पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड लगातार निगम को नोटिस भेजता रहता है। 2019 में भी प्रदूषण बोर्ड ने निगम पर जुर्माना लगाया था, जिसको निगम में नहीं दिया। एनजीटी बार-बार प्रदूषण बोर्ड से जवाब मांगती कि नगर निगम पर क्या कार्रवाई की। जिसको देखते हुए प्रदूषण बोर्ड में 2019 की शिकायत के आधार पर एक अप्रैल 2020 से एक मई 2024 तक प्रत्येक महीने 10 लाख रुपये के हिसाब से 5 करोड़ 20 लाख का जुर्माना स्वीकृत किया।