मेरठ 13 जून (प्र)। रिटायर्ड डीआइजी अजय मोहन शर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच शासन ने विजिलेंस को सौंपी है। अजय मोहन पर उनके छोटे भाई ने ही अवैध तरीके से कमाई रकम से करोड़ों की संपत्ति खरीदने के आरोप लगाए हैं। प्राथमिक जांच में आरोपों की पुष्टि हुई है।
सूरजकुंड स्थित आर्य नगर निवासी अजय मोहन शर्मा 1989 बैच के पीपीएस अफसर हैं। प्रमोशन होने के बाद 2001 में उन्हें आइपीएस कैडर मिल गया था उनकी तैनाती आगरा, मेरठ के अलावा कई बड़े शहरों में रही। 2018 में मेरठ पीएसी के डीआइजी पद से रिटायर्ड हुए।
अजय मोहन के छोटे भाई पुनीत मोहन शर्मा ने सतर्कता अनुभाग के उप सचिव गरीश चंद्र मिश्र से शिकायत करते हुए आरोप लगाया कि उनके भाई ने नौकरी पर रहते हुए मदन मोहन इंस्टीट्यूट आफ स्किल एंड सिक्योरिटी मैनेजमेंट संस्था में फर्जीवाड़ा किया। उनकी शास्त्रीनगर में एक करोड़ तीस लाख व लखनऊ में 50 लाख की संपत्ति है। इसके अलावा नोएडा और गाजियाबाद में तीन करोड़ के फ्लैट हैं। जेवर एयरपोर्ट के समीप 20 करोड़ और आगरा में डेढ़ करोड़ की जमीन है।
विजिलेंस की प्राथमिक जांच में तत्कालीन एसपी इंदू सिद्धार्थ की तरफ से प्रार्थना पत्र की जांच कराने की पुष्टि की गई थी उसी को आधार बनाते हुए शासन ने अजय मोहन शर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच के आदेश दिए। यह जांच विजिलेंस की इंस्पेक्टर रेणुका को दी गई है। उन्होंने इसकी पुष्टि की है।
छोटे भाई की शिकायत पर कई बार हो चुकी जांच में क्लीनचिट मिल चुकी
वहीं रिटायर्ड डीआइजी अजय मोहन शर्मा का कहना है कि हम पांच भाई हैं। छोटे भाई पुनीत दस बार अलग-अलग जगह शिकायत कर चुके हैं। हर बार जांच में क्लीनचिट मिलती है। शास्त्रीनगर में जमीन आवास विकास से 32 हजार 400 रुपये में ली थी। इसे करोड़ों की बना दिया मोदीपुरम के पास पावली खास में कालेज में पढ़ाते समय 40 हजार की जमीन ली गई थीं, वह भी चार भाइयों के नाम पर रजिस्टर्ड है। विभाजन का मुकदमा भी चल रहा है। नोएडा का फ्लैट शासन से अनुमति लेकर जीपीएस और बैंक से लोन लेकर खरीदा था पिता की मौत के बाद सोसायटी की साढ़े 17 करोड़ की रकम पांच साल तक फर्जी हस्ताक्षर कर खाते से निकाली गई। उस मुकदमे में में गवाह हूं, इसको रंजिश के चलते गलत तरीके से शिकायत की जाती है।