
मेरठ 28 नवंबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। कहते है कि हमेशा एकसा माहौल नहीं रहता उसी प्रकार आदमी के विचार और कार्यप्रणाली तथा दूसरों के बारे में राय रखने के मामले में भी बदलाव होते रहते है। कौन कब कितना अच्छा और बुरा काम कर बैठे इसके बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन चर्चाएं खूब चलती है बिन्दु कोई भी हो।
आलोचना और समालोचना करना हर किसी का अधिकार है इसलिए यह भी पक्का है कि किसकी किस बात से लोग प्रभावित हो इस बारे में भी विश्वास से नहीं कह सकते। मगर समाज में जो नागरिकों को लेकर उनकी कार्यप्रणाली की चर्चाएं होती है उसे आम आदमी के सामने ले जाना सबका कर्तव्य है क्योंकि कब समाज के हित में कौन कब कितना सोच ले यह भी नहीं कहा जा सकता। वर्तमान में हम अपने शहर के प्रमुख क्षेत्र व वर्गों के प्रतिष्ठित नागरिकों में कम या ज्यादा सब में चर्चाओं का विषय आम आदमी के रूप में रहने वाले द अध्ययन स्कूल समेत कई स्कूलों के चेयरमैन एलेक्जेंडर एथलेटिक्स क्लब के सचिव देश की राजधानी दिल्ली स्थित अनेक संगठनों के सदस्य सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए से जुड़े संजय कुमार के बारे में चर्चा करे तो कुछ गलत नहीं है।
क्योंकि जब भी समाज के किसी भी वर्ग में कोई विवाह समारोह हो या सार्वजनिक आयोजन वहां संजय कुमार पहुंचते है तो उन्हें देखते ही मौजूद उपस्थित अपने अपने हिसाब से चर्चा करने लगते है। कुछ उनके कपड़ों को लेकर बात करते है तो कई उनके बाल और हेयर स्टाईल पर अपना मत व्यक्त करने लगते है। दुआ सलाम तो उनसे हर सक्रिय व्यक्ति करना चाहता है चाहे उससे उनका संबंध हो या ना हो। और क्योंकि हमेशा मुस्कुराते चेहरे विनम्र स्वभाव से सबसे मिलने और अपनों तथा बड़ों से इस उम्र में भी झुककर आशीर्वाद लेने वाले संजय कुमार आज कल किसी न किसी रूप में चर्चाओं में तो है ही बीते दिनों तिलक पुस्तकालय व वाचनालय के स्थापना समारोह में वो मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए तो फिलहाल शहर की प्रमुख समाजसेवी चिकित्सा के क्षेत्र में सक्रिय तथा पिछले लगभग 30 साल से जरूरतमंदों को निशुल्क भोजन कराने वाली डोगरे जी महाराज की प्रेरणा से अस्तित्व में आये अन्नपूर्णा ट्रस्ट के संस्थापक ब्रजभूषण गुप्ता जी को अपने सहयोगियों से चर्चा करते हुए सुना भाई द अध्ययन स्कूल के चेयरमैन संजय कुमार जी को निमंत्रण जरूर भेजना। ऐसे अनेकों किस्से और घटनाएं है जो पिछले 5 सालों में संजय कुमार का कद और महत्व समाज में बढ़ाने और उन्हें स्थापित करने के मामले में महत्वपूर्ण कहे जा सकते है। क्योंकि कितने ही संगठन वर्तमान में उन्हें अपने यहां बुलाकर सम्मानित करने की सोचते है लेकिन कभी लखनऊ कभी दिल्ली तो कभी जयपुर अथवा बद्रीनाथ या वैष्णोदेवी जाने वाले संजय मेरठ में उपलब्ध तो होते है मगर बहुत व्यस्थ रहते है। इसलिए कितनी ही संस्थाएं ऐसी है जो उन्हें बुलाना चाहती है और उनका स्वागत को तैयार रहती है। ऐसा नहीं है कि सब लोग उनकी तारीफ ही करते हो। लेकिन ग्रामीण कहावत किसी को आधे भरे पानी का गिलास खाली दिखाई देता है तो किसी को भरा ऐसे ही संजय कुमार जैसे व्यक्ति की आलोचना करने वालों के बारे में भी कहा जा सकता है क्योंकि हाथ की पांचों अंगुली एक समान नहीं होती इसी प्रकार सबकी राय एक जैसी नहीं होती।(प्रस्तुतिः-घूमंतू संवाददाता)
