Friday, November 22

सिम्भावली मिल ने किसानों के फोटो और खतौनी से किया था करोड़ो का फर्जीवाड़ा

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मेरठ 15 दिसंबर (प्र)। दस साल पहले 1300 करोड़ के फर्जीवाड़े में गाजियाबाद की सिंभावली चीनी मिल और बैंक अधिकारियों पर अब सीबीआई शिकंजा कसेगी।  किसानों की फोटो और खतौनी लगाकर सिंभावली मिल ने बैंकों से करोड़ों का लोन लिया था लेकिन बैंक 900 करोड़ रुपये की मूल रकम तो दूर 400 करोड़ रुपये व्याज भी नहीं वसूल सके थे। खास बात थी कि जिन किसान के नाम पर बैंकों से लोन लिया गया, उन्हें इस बारे में जानकारी ही नहीं थी। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच करने के आदेश दिए हैं।

सिंभावली चीनी मिल ने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, एसबीआई, यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिकारियों से मिलीभगत करके 1,300 करोड़ रुपये का घपला किया था। मिल ने हापुड़ के कई गांवों के किसानों के फोटो व खतौनी लगाकर बैंकों से करोड़ों का लोन लिया था। बैंकों को न तो कर्ज के रूप में दिए गए 900 करोड़ रुपये वापस मिले और न ही इस पर बने 400 करोड़ रुपये का व्याज ।
यही नहीं बैंक अपने 400 करोड़ रुपये लेकर मामले को निपटाने की तैयारी में भी लगे हुए थे। सिंभावली मिल और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की मिलीभगत से 150 करोड़ के फर्जीवाड़ा का खुलासा 2013 में किया था। उसके बाद एक के बाद एक सात बैंकों के अधिकारियों के साथ मिलकर सिंभावली मिल का फर्जीवाड़ा सामने आ गया। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह, भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत, सच संस्था अध्यक्ष संदीप पहल, भाजपा नेता अजित सिंह और हापुड़ के किसानों ने मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग उठाई थी। हापुड़ के एक किसान नेता ने हाईकोर्ट में याचिका डाली थी।

दस्तावेजों में किसानों के पते तक गलत थे
सिंभावली मिल ने बैंकों को किसानों के जो दस्तावेज दिए थे, वह चौकाने वाले थे। जांच पड़ताल में किसानों के दस्तावेज पर लिखे पते भी फर्जी निकले थे। फोटो किसी का और पता किसी दूसरे गांव का था। बिना पैसा लिए बैंकों के कर्जदार बनने वाले किसानों ने थानों पर भी चीनी मिल के अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराने की मांग करते हुए बैंकों पर भी तालाबंदी कर दी थी। मेरठ में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के डीजीएम का किसानों ने घेराव भी किया था।

मनी लॉन्ड्रिंग की भी हो सकती है जांच
सिंभावली शुगर मिल के खिलाफ बैंकों ने कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल इलाहाबाद में कार्रवाई शुरू की थी, जिसके खिलाफ मिल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की लंबी सुनवाई के बाद बुधवार को हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से जांच कराने के आदेश दे दिए। हाईकोर्ट ने पूछा कि सातों बैंकों ने डूबी राशि की सूचना आरबीआई को देने के निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया। किन बैंक अधिकारियों ने मिल को कर्ज जारी किए और डूबी हुई रकम वापसी के लिए प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जरूरी होने पर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए प्रवर्तन निदेशालय को भी जांच के लिए कह सकती है।

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