Saturday, December 6

मुख्य परीक्षा छोड़ने वाले छात्रों पर होगी कड़ी निगरानी

Pinterest LinkedIn Tumblr +

मेरठ 05 दिसंबर (प्र)। राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के सचिवालय ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि छात्र-छात्राओं को प्रत्येक शैक्षणिक सत्र की नियमित परीक्षाओं में अनिवार्य रूप से शामिल कराया जाए। बिना किसी ठोस कारण के नियमित परीक्षा खेड़ने वाले विद्यार्थी बाद में बैक पेपर परीक्षा में शामिल होते हैं, जिसके कारण बैक पेपर परीक्षार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इससे विश्वविद्यालयों को बैक पेपर परीक्षा संचालन में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी डॉ. पंकज एल. जानी द्वारा जारी इस ईमेल पत्र में सभी कुलपतियों व निदेशकों से अपेक्षा की गई है कि.. विद्यार्थियों को मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, ताकि अधिकतम संख्या में छात्र-छात्राएं समय पर परीक्षा पूरी कर सकें। साथ ही विश्वविद्यालयों से वह भी अनुरोध किया गया है कि वे वर्तमान शैक्षणिक सत्र की मुख्य परीक्षा में कितने परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी है, उसकी कुल संख्या की सूचना राजभवन को भेजें। राज्यपाल सचिवालय ने इसे शैक्षणिक अनुशासन और परीक्षा व्यवस्था सुधार से जुड़ा अहम कदम बताया है।

नियमित परीक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य
सीसीएसयू ने शैक्षणिक सत्र की नियमित परीक्षाओं को बिना उचित कारण छोड़ने वाले छात्रों के मामलों को गंभीरता से लेने के निर्देश जारी किए हैं। यह कार्रवाई कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी, राज्यपाल सचिवालय के पत्र के अनुपालन में की जा रही है। विश्वविद्यालय द्वारा जारी आदेश में सभी संबद्ध महाविद्यालयों, परिसर के विभागाध्यक्षों तथा समन्वयकों से कहा है कि छात्रों को नियमित परीक्षा में अवश्य शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि मुख्य परीक्षा में अधिकतम संख्या में परीक्षार्थी सम्मिलित हो सके। परीक्षा समाप्ति के बाद परीक्षार्थियों ने बिना कारण परीक्षा छोड़ी है, उनकी कुल संख्या राज्यपाल सचिवालय, लखनऊ को भेजी जाएगी। यह रिपोर्ट 2025-26 की मुख्य परीक्षा की समाप्ति के पश्चात भेजनी होगी। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि लगातार परीक्षा छोड़ने के कारण शैक्षणिक वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और छात्रों की प्रगति भी बाधित होती है इसलिए संस्थानों से अपेक्षा है कि वे छात्रों को जिम्मेदार बनाते हुए परीक्षा में भागीदारी बढ़ाएं।

समय पर छात्रवृत्ति डेटा न भेजने वाले कॉलेज होंगे जिम्मेदार
विश्वविद्यालय ने अपने सम्बद्ध महाविद्यालयों व संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे वित्तीय वर्ष व शैक्षणिक सत्र 2025-26 की दशमोत्तर छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति से संबंधित लॉक किया गया मास्टर डेटा निर्धारित समय सीमा में विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराएं। विश्वविद्यालय द्वारा मुख्य सचिव के पूर्व आदेशों के संदर्भ में बताया गया है कि अब तक 430 कॉलेज का डेटा विश्वविद्यालय की तरफ से छात्रवृत्ति पोर्टल पर लॉक किया जा चुका है, जबकि 110 कॉलेजों ने आवश्यक सूचनाएं अभी तक उपलब्ध नहीं कराई है, जिससे छात्रवृत्ति प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। कॉलेजों को चेतावनी दी गई है कि गुरुवार को दोपहर 12 बजे तक सभी सूचनाएं विश्वविद्यालय को भेजना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय द्वारा डेटा लॉक करने की अंतिम तिथि आज निर्धारित की गई है। यदि समय से जानकारी उपलब्ध न कराने के कारण छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति न मिल पाए, तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी संबंधित महाविद्यालय, संस्थान की होगी।

Share.

About Author

Leave A Reply