मेरठ 09 नवंबर (प्र)। कनोहर लाल महिला पीजी कालेज की निलंबित प्राचार्य एवं प्रबंध तंत्र के बीच चल रही खींचतान में शुक्रवार को नया मोड़ आ गया। प्राचार्य ने प्रबंध तंत्र पर पलटवार करते हुए वित्तीय अनियमितता समेत कई अन्य आरोप लगाकर मुख्यमंत्री से शिकायत की है। पूर्व प्राचार्य प्रो. अलका चौधरी को गत 28 अक्टूबर को प्रबंध समिति ने वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए निलंबित कर दिया था। साथ ही उनके स्थान पर कालेज में चित्रकला विभाग की वरिष्ठ प्रो. किरण प्रदीप को अवकाश के दिन कार्यभार ग्रहण कराया गया था। इसके बाद प्रबंध समिति के संयुक्त सचिव ने उनके खिलाफ ब्रहमपुरी थाने में तहरीर दी थी।
प्रो. अलका का कहना है कि उन्होंने शासन से कालेज में पिछले कई सालों में हुई घोर अनियमितताओं की शिकायत की। शिकायत पर 10 से 12 जून 2024 को विशेष आडिट दल ने छात्राओं द्वारा जमा किए गए शुल्क की जांच की। इसमें प्रबंध समिति ने करोड़ों रुपये के दुरुपयोग पर सचिव को मेमो दिया था। उस दल के आने से पूर्व ही दस्तावेजों के साथ हेरफेर कार्यालय के कतिपय कर्मचारियों द्वारा की जाने लगी थी। अब आख्या शासन में जमा की जा चुकी है। प्रबंध तंत्र भंग न हो जाए… इस डर से उनका लगातार मानसिक उत्पीड़न करते हुए 28 अक्टूबर को निलंबित कर दिया गया। जिससे दस्तावेजों और साक्ष्यों को नष्ट किया जा सके।
प्राचार्य का कहना है कि गत 29 अक्टूबर को प्रो. किरण को ताला तोड़कर कार्यभार ग्रहण कराया गया। अवकाश होने के बाद भी ट्रस्ट के कतिपय कर्मचारी कार्यालय में उपस्थित थे। वहीं, मनोज गुप्ता जिनके ऊपर एफआइआर दर्ज करायी गई थी। उनका कालेज में प्रवेश भी प्रतिबंधित था। उनके द्वारा दस्तावेजों को स्कैन किया गया। यही नहीं कालेज के अन्य कर्मचारियों ने भी दस्तावेजों के साथ हेरफेर तथा नष्ट किया गया। उन्होंने करीब 15 आरोप लगाए हैं। इनमें स्ववित्त पोषित कोर्स से करोड़ों रुपये की एफडीआर बनवाने, पुस्तकालय काशन मनी तथा कालेज पत्रिका प्रकाशन में घोर अनियमितता व निर्धन छात्राओं के लिए शुल्क लेने, लेकिन किसी भी छात्रा की सहायता न करने जैसे आरोप शामिल हैं। उधर, प्रबंध समिति पदाधिकारी पहले ही उनके आरोपों को निराधार बता चुके हैं।