मेरठ 31 मई (प्र)। 49 सालों में 30 मई सबसे गर्म रही है। मेरठ में गर्मी ने 49 साल का रिकॉर्ड़ तोड़ दिया। तापमान 45 डिग्री के पास पहुंच गया। गर्मी का असर दिनभर बना रहा। शाम को भी राहत नहीं मिली।
गर्मी का रौद्र रूप बढ़ता ही जा रहा है। 1975 में नौ मई को अधिकतम तापमान 45.8 डिग्री दर्ज किया गया था और 2024 में 30 मई को 44.6 डिग्री रिकॉर्ड़ किया गया है, जो पिछले पांच दशक में सबसे ज्यादा गर्म रहा है। गर्मी और हीटवेव के चलते त्वचा भी झुलसने लगी है। बृहस्पतिवार को मौसम कार्यालय पर दिन का अधिकतम तापमान 44.6 डिग्री व रात का न्यूनतम तापमान 27.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड़ किया गया है।
बढ़ते तापमान का ये होता है असर
43 डिग्री पर ह्दय और फेफडों में दिक्कत बढ़ जाती है।
44 डिग्री पर बेहोशी, चक्कर या घबरहाट जैसी शिकायत।
45 डिग्री पर ब्लड प्रेशर कम होने की समस्या।
45 से 50 डिग्री पर मांसपेशियां प्रभावित होती हैं।
बढ़ती गर्मी में इन चीजों का रखें ध्यान
घर से बाहर छाता लगाकर निकलें
आंखों में सन ग्लास का उपयोग करें
दिन में कई बार पानी का सेवन करें, ठंडा पानी न पिएं
नारियल पानी और नीबू पानी व ग्लोकूज का अधिक सेवन करें
गर्मी में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ गया और मेरठ का एक्यूआई खतरनाक स्तर पर पहुंचा है। बृहस्पतिवार को मेरठ का एक्यूआई 260 दर्ज किया गया, जबकि शहर में जयभीमनगर 336, गंगानगर 238, पल्लवपुरम 206, बेगमपुल 220, दिल्ली रोड 240 दर्ज किया गया। 30 मई सबसे ज्यादा गर्म रही है। 49 सालों में मेरठ में गर्मी ने नया रिकॉर्ड़ बनाया है। अभी राहत के आसार नहीं दिख रहे हैं।
मेरठ में 45 डिग्री पार कर सकता है पारा
मई में ऐसी गर्मी की उम्मीद भी नहीं थी. गर्मी भी ऐसी कि मानो झुलसा देगी. आलम ये है कि पारा पहले 40 को पार कर गया, फिर बढ़ते बढ़ते 44 पहुंच गया और अब 45 डिग्री से चंद कदमों की दूरी पर है, आशंका जताई जा रही है कि पारा फिलहाल के हालातों को देखकर थमता नजर नहीं आ रहा है और यही हाल रहा तो 45 डिग्री को पर कर जाएगा. सोचिए यदि ऐसा हुआ तो क्या हॉग? मेरिट में गर्मी का टॉर्चर और बढ़ जाएगा.
हीट वेव से अस्पतालों में बढ़े मरीज, बच्चों में बढ़ी परेशानी
हीट वेव का आलम ये है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है. सबसे ज्यादा बच्चे चपेट में हैं. सरकारी अस्पतालों में तो वार्ड फुल हैं. डायरिया के मरीज ज्यादा हैं. कुछ बच्चे उल्टी से, कुछ बुखार से और कुछ दस्त से पीड़ित हैं. आलम ये है कि अस्पतालों की इमरजेंसी में रात में भी मरीजों के आने का सिलसिला जारी है. बड़े भी गर्मी की चपेट में हैं, इसलिए लोग दोपहर में घर से निकलने में गुरेज कर रहें हैं कि बीमार पड़ने से अच्छा है घर रहें.