Wednesday, October 29

युवाओं और जनसंख्या में कमी है चिंता का विषय, प्रधानमंत्री जी देश की एकता और अखंडता के लिए इस बारे में दें विशेष ध्यान

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प्रजनन दर में कमी की संभावनाओं और देश की आर्थिक प्रगृति में श्रम शक्ति का योगदान देने वाले युवाओं की संख्या में कमी आने और बुजुर्गों की संख्या बढ़ने की चल रही चर्चाएं भले ही जनसंख्या कम करने के हिसाब से कुछ लोगों को सही लगे लेकिन देश की सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए पढ़ने को मिल रहे आंकड़े सही नहीं कह सकते।
एक खबर के अनुसार दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में अब जनसांख्यिकी ढांचा तेजी से बदल रहा है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2011-2026 के बीच देश में बच्चों एवं किशोरों (0-19 साल) की आबादी में नौ फीसदी की कमी होने का अनुमान है।
देश में वर्ष 2011 में 0-19 साल की आबादी करीब 41 थी, जो 2026 में महज 32 फीसदी पर सिमट जाएगी। मंत्रालय की रिपोर्ट श्भारत में बच्चों की आबादी्य में यह दावा किया गया है। एक अनुमान के अनुसार, इस आयु वर्ग में करीब 12.5 करोड़ लोग कम होने का अनुमान है। रिपोर्ट में 0-19 साल की आबादी को चार वर्गों में बांटा गया है। यदि 2011 की बात करें तो 0-4 साल के आयु वर्ग की आबादी 9.9 फीसदी थी जो 2026 में 7.6 फीसदी रह जाएगी। 5-9 साल आयु वर्ग की आबादी 10.4 से घटकर 7.9 रह जाएगी। तीसरे समूह 10-14 आयु वर्ग में आबादी का प्रतिशत 10.6 से घटकर 8.2 रह जाएगी। 15-19 साल के आयु वर्ग की आबादी 10.1 से घटकर 8.2 फीसदी रह जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में परिवार नियोजन की सुविधाओं में सुधार होने के कारण पिछले कुछ वर्षों से लगातार प्रजनन दर घट रही है, जिसका असर आबादी के ढांचे पर अब दिखना शुरू हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में भारत की प्रजनन दर 1.9 तक आने का अनुमान है। जो वांछित लक्ष्य 2.1 से भी कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि जनसांख्यिकी ढांचे में आ रहे बदलावों से भविष्य में देश की आबादी में गिरावट का दौर शुरू होगा। मगर ऐसा होने में कम से कम 20 साल और लगेंगे। दरअसल, बच्चों-किशोरों की आबादी घट रही है तो मध्यम उम्र वर्ग व बुजुर्गों की आबादी में इजाफा भी हो रहा है। औसत आयु बढ़ने से 80़ की आबादी भी बढ़ी है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के बाकी देशों की तुलना में नाइजर में युवाओं की आबादी सबसे अधिक 56.9 है, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है। गरीबी और संघर्ष से गुजर रहे देशों में युवाओं की आबादी ज्यादा है। युगांडा की कुल आबादी में से 55 की उम्र 18 वर्ष से कम है। चाड, अंगोला, माली समेत पिछड़े देशों में युवाओं की आबादी अधिक है।
सीमाओं की सुरक्षा और देश में भयमुक्त वातावरण के लिए युवाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी और श्रमिकों के योगदान को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि यह जो २०२६ तक भारत में नया खून नौ फीसदी घटने की बात सुनने को मिल रही है वो सही नहीं है। देशवासी कम खा सकते हैं गम खा सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर कम जगह में गुजारा कर सकते हैं लेकिन युवाओं की संख्या में देश में कोई कमी ना हो पाए देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार इस बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है क्योंकि सांख्यिकी कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट अच्छे संकेत नहीं दे रही है। देशहित में अगर प्रजनन क्षमता बढ़ाने की जरूरत हो तो हमें पीछे नहीं रहना चाहिए क्योंकि हम स्वतंत्र हैं तो सब सही है वरना सब बेकार।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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