मेरठ 22 अगस्त (प्र)। उप्र सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अपर निदेशक अरविन्द कुमार मिश्रा के हवाले से जिलों में तैनात उपनिदेशक सूचना अधिकारी सहायक निदेशक आदि द्वारा 20 अगस्त को सूचित किया गया कि मान्यता प्राप्त पत्रकार अपने आयुष्मान कार्ड जारी कराने एवं अगर किसी में गलती है तो 21 व 22 अगस्त को मुख्यालय लखनऊ कार्यालय पर विभाग के अनुसार स्टेट हेल्थ एजेंसी साची द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए दो दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया है। इस शिविर के आयोजन को विभाग द्वारा राज्य के पत्रकारों को विशेष सुविधा प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया गया है। लेकिन शायद सूचना विभाग के अधिकारी यह भूल गये कि जिन पत्रकारों के लिए यह शिविर बताया जा रहा है पहले तो उन्हें एक या दो दिन पहले ही सूचना दी जा रही है ऐसे में मुख्यालय पहुंचने के लिए रिर्जेवेशन आदि मिलना मुश्किल होता है दूसरा इस श्रेणी के समाचार पत्रों की जो अवहेलना प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा सरकार को सही जानकारी न देकर की जा रही है उसके चलते ज्यादातर पत्रकारों का वहां तक जा पाना इतने कम समय में संभव नहीं होता। ऑल इंड़िया न्यूज पेपर आईना के राष्ट्रीय महामंत्री अंकित बिश्नोई का कहना है कि अपर निदेशक सूचना अरविन्द कुमार मिश्र एक सफल अच्छी सोच वाले प्रशासनिक अधिकारी है।
जिलों में लगे शिविर
यह लघु व भाषाई समाचार पत्रों के लिए अच्छी बात है कि ऐसा अधिकारी विभाग में मौजूद है जो इस श्रेणी के समाचार पत्रों के बारे में अच्छी राय रखता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अंकित बिश्नोई ने मांग की है कि सूचना निदेशक या अपर निदेशक स्टेट हेल्थ एजेंसी साची के द्वारा लगाये जाने वाले ऐसे शिविर प्रदेश के हर जिले में लगवाये जाए। और उसमें यह व्यवस्था हो कि नया बनाने या सही करने के बाद कार्ड तुरंत जारी कराये जाए। और यह आयोजन जिले में तैनात अधिकारियों के माध्यम से कराये जा सकते है। अगर सरकार जो इस श्रेणी के समाचार पत्र संचालकों के लिए कुछ कर नहीं रही है और अगर जो कर रही है वो भी सूचना विभाग में बैठे कुछ मठाधीश उसे लागू न कर इनके संचालकों के मुख्यालय आने का इंतजार करते है। तथा डीएवीपी केन्द्र सरकार के द्वारा विज्ञापन मान्यता प्राप्त समाचार पत्रों जिनके रजिस्ट्रेशन लखनऊ मुख्यालय में भी है उन्हें भी सभी के लिए जारी विज्ञापन विभाग के अधिकारियों के द्वारा नहीं भेजे जाते। और काफी भुगतान कई कई वर्ष पूर्व के बिल विभाग में मौजूद होने के बाद भी करने की बजाए विभिन्न माध्यमों से खबर भेजी जाती है कि आकर अपना भुगतान करा लें। सवाल उठता है कि आखिर जब सरकार इन समाचार पत्रों के लिए कुछ सोच ही नहीं रही तो ऐसे मामलों में जाकर पैसा और समय खर्च करने की किसे फुर्सत है।
हरियाणा की तरह मिले पेंशन
अंकित बिश्नोई ने मांग की है कि बिहार हरियाणा महाराष्ट्र में पत्रकारों को मिलने वाली पेंशन के समान उनके द्वारा निर्धारित नियमों को लागू करने की व्यवस्था की जाए तो बाकई में लगता है कि यूपी सरकार व सूचना विभाग इन लघु समाचार पत्र संचालकों के बारे में कुछ सोचता हैं। क्योंकि जो नियम और शर्ते हर बिन्दु पर लगाई जाती है उनमें कोई विशेष फायदा तो किसी को होता नजर नहीं आता। हां लखनऊ जाकर जो समय और धन खर्च करना और बाबू जी के व्यवहार से एक प्रकार से अपमान झेलना शायद किसी भी गैरमत पत्रकार के लिए संभव नहीं है।