Sunday, December 22

सोफिया की दिवंगत टीचर कमला सरीन की संपत्ति सरकार करे अपने कब्जे में और बनाए ट्रस्ट

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सोफिया स्कूल की टीचर रही 500 गज के भवन में दक्षिण सोतीगंज में रहने वाली 90 वर्षीय कमला सरीन जी का अंतिम संस्कार तो उनके रिश्ते के भतीजे के साले जतिन कपूर और सलज बरखा कपूर द्वारा कर दिए जाने की खबर है। बताते चलंे कि कमला सरीन के पिता देवीलाल जो मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले थे यहां आकर बस गए थे। उनके चार बेटे रामलाल, वीरपाल, समरपाल, हरपाल बताए गए थे। जिनमें से एक स्वतंत्रता सेनानी और एक सीनियर अधिकारी थे। लेकिन फिलहाल काफी दिनों से अविवाहित टीचर अकेली रहती थी। सवाल यह उठता है कि कई दिनों से वह दिखाई नहीं दी। दस दिन पहले उनकी मौत हो गई। शब से दुर्गध उठने लगी लेकिन किसी को पता नहीं चला। आखिर समाज की सोच कहां जा रही है कि उनके पड़ोस में रहने वालों ने इस बीच यह देखने की भी कोशिश नहीं की कि पड़ोस में रहने वाली महिला किस हाल में है। जहां तक रिश्तेदारों की बात है तो वो पूरी तौर पर संवेदनहीन हो ही गए थे। अब जैसा कि खबरों से पढ़ने को मिलता है कि उनकी करोड़ों़ की संपत्ति पर सारे रिश्तेदारों की नजर लगी हुई है। अपने कार्यकाल में सोफिया जैसे प्रतिष्ठित स्कूल में हजारों की तादात में बच्चियों को उनके द्वारा शिक्षा दी गई होगी और उनमें से सैंकड़ों देश दुनिया में सरकारी निजी और अपने संस्थानों में पदों पर रहकर देश व परिवार के लिए काम रही होंगी लेकिन रिटायर शिक्षिका का अंत जितना बुरा हो सकता था हुआ। मेरा मानना है कि एक तो सरकार ऐसी परिस्थितियों में मरने वाले पुरूष हो या महिला उनकी संपत्ति अधिकृत कर उनके पढ़ाए बच्चों का ट्रस्ट बनाकर सही उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करे। एक ऐसा नियम भी बनाया जाए कि अगर कोई वृद्ध आसपास में रहते हैं तो या तो कोई सरकारी व्यक्ति या पड़ोसी उनकी खबर जरूर लें। वरना उनसे बातचीत कर उनके घर में उन्हीं की उम्र और विचारधारा वाले निराश्रितों को बसाने या किराए पर रहने की व्यवस्था कराए जिससे संपत्ति और पैसे के भूखे रिश्तेदारों की संवेदनहीनता से किसी को ऐसी दर्दनाक मौत का सामना ना करना पड़े।

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