Friday, November 22

निगम व स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसरों पर कसना होगा शिकंजा! प्रदूषण किसी भी प्रकार का हो बढ़ क्यों रहा है इसके लिए दोषी कौन है आवश्यकता यह सोचने की है डराने की नहीं

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यह बात सही है कि वर्तमान समय में वायु प्रदूषण के साथ साथ गंदगी से होने वाले प्रदूषण में भी निरंतर बढ़़ोत्तरी हो रही है। मजे की बात यह है कि हर कोई अपना दोष दूसरों के सिर मढ़ने में लगा है। कोई भी अपनी कमियां सुधारने के लिए तैयार नहीं है।
दोषियों को करना होगा बेनकाब
इस संदर्भ में कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं है। हम अपने शहर मेरठ को ही देख सकते है। यहां पूर्व कमिश्नर आलोक सिन्हा के कार्यकाल में मेरा शहर मेरी पहल के माध्यम से लंबे समय तक स्वच्छता अभियान चलाया गया। लेकिन शहर साफ नहीं हो पाया। उसके बाद नगर निगम के अधिकारियों ने जुगाड़ से स्वच्छ सिटी का सम्मान भी प्राप्त कर लिया लेकिन गंदगी कम होने की बजाय सुरसा के मंुह की भांति बढ़ती ही चली जा रही है। इसमें सुधार कैसे हो। इसके लिए दोषी कौन है यह बात स्पष्ट कहने को कोई तैयार नहीं है। कोई कह रहा है हवा में 25 गुना कार्बन मोने ऑक्साइड बढ़ गया है। कुछ कह रहे हैं कि मेरठ की हवा खतरनाक तो कई डॉक्टरों का कहना है कि दीवाली से पहले शहर में प्रदूषण का विस्फोट। कुछ का कथन है कि बेगमपुल और जयभीमनगर में सांस लेना मुश्किल हो रहा है लेकिन यह तो सब कह रहे हैं कि वाहनों का कम करें इस्तेमाल। खुले में रोड़ी डस्ट बेची तो लगेगा एक लाख का जुर्माना मगर यह कोई नहीं कह रहा कि इस प्रदूषण के लिए असल रूप से जिम्मेदार नगर निगम और स्थानीय निकाय के अधिकारी पूरी तौर पर दोषी है। आखिर करोड़ों का बजट खर्च करने पर भी यह सफाई क्यों नहीं करा पा रहे है।
भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय के निकट
पिछले दिनों एक खबर पढ़ी कि भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय के निकट कूड़ा जलाया गया तो तीसरे दिन पढ़ने को मिला कि कार्यालय के पास हुआ जलभराव। आखिर कोई यह बताए कि जब सत्ताधारी दल के मुख्य कार्यालय के निकट की स्थिति यह है तो नगर निगम के अधिकारियों ने गंदगी के मामले में शहर की स्थिति क्या कर रखी होगी।
पीएम और सीएम से क्यों नहीं करते
कुछ जानकारों द्वारा इस संदर्भ में अपनी मुस्कुराती हुई फोटो छपवाकर लिखा जा रहा है कि सांसों पर संकट देशव्यापारी सुधार की सोच हो विकसित जनसहयोग से थामना होगा वायु प्रदूषण। कुछ खबरों में पढ़ने को मिल रहा है कि दिल्ली और आसपास की 40 प्रतिशत की आबादी की सांसों पर संकट उत्पन्न हो गया है। क्योंकि दिल्ली-एनसीआर की हवा 100 गुना जहरीली हो गई। कुछ शहरों में स्थिति गंभीर हो गई है। मेरा मानना है कि जब इतना बवाल हो रहा है तो कहीं ना कहीं कुछ तो है ही। लेकिन सवाल यह उठता है कि इससे संबंध समाचार छापने और लेख लिखने वाले देशभर में पीएम मोदी और प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से यह आग्रह क्यों नहीं करते कि इस प्रदूषण के लिए प्रथम दृष्टया स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और स्थानीय निकायों के अधिकारियों को जवाबदेह बनाकर उनसे क्यों नहीं पूछा जा रहा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
पराली जलाने के नाम पर किसानों
अगर कुछ लोग यह कहें कि पराली जलाने से यह स्थिति बन रही है तो मुझे लगता है कि पूरी तौर पर यह बात सही नहीं है क्योंकि मेरा बचपन मजदूरी करते हुए बीता और सर्दी में पराली जलाकर की गर्मी प्राप्त होती थी और जब गेंहू चावल की कटाई होती थी लेकिन उससे कोई मरा हो ऐसा तो समय सुनने को नहीं मिला। बीते दिनों एक खबर छपी कि पंजाब में इस बार पांच नवंबर तक 17403 जगहों पर पराली जलाने के मामले सामने आए लेकिन कहीं भी यह नहीं छपा कि इससे उत्पन्न प्रदूषण से इतने लोग बीमार हो गए या मर गए। बस प्रदूषण फैल रहा है कहकर अन्नदाता किसान का उत्पीड़न अधिकारियों द्वारा शुरू किया गया है यह बात सामने नजर आ रही है।
इस कारण कोई मरा यह सुनने को
मैं किसी पर आरोप प्रत्यारोप तो नहीं करता लेकिन शहर हो गया देहात बस अडडो रेलवे स्टेशनों धार्मिक स्थलों और चौराहों पर पड़े रहने वाले गरीब और भिखारी खुलकर कूड़ा जलाने के साथ साथ लकड़ी और प्लास्टिक तथा टायर जलाकर आज भी सर्दी से मुकाबला करते हैं। उन्हें ना तो कोई रोकता है ना उनका चालान करता है इस कारण से कोई मरा हो ऐसी भी खबर सुनने को नहीं मिलती। यह बात सही है कि अगर हर व्यक्ति इस संदर्भ में प्रयास करे तो इससे छुटकारा मिल सकता है।
एक रूपये का निवेश
जानकारों का यह कथन भी सही लगता है कि साफ हवा पर अगर हम एक रूपये का निवेश करते हैं तो 30 रूपये का फायदा होता हैं।
जनता के ऊपर थोपने से कुछ नहीं होगा
लेकिन दोस्तों मेरा कहना है कि जब तक जहरीला धुंआ छोड़ते थ्री व्हीलर और वाहन आरटीओ विभाग और यातायात पुलिस की मेहरबानी से सड़कों पर दौड़ते रहेंगे और सफाई के लिए जिम्मेदार अफसर कानों में तेल डालकर बैठे रहेंगे तब तक इस समस्या का समाधान होने वाला नहीं है। मेरा मानना है कि आम आदमी के साथ साथ हमें प्रयास करने होंगे कि प्रदूषण समाप्त हो और इससे हमारी किसी भी भाई को जान माल की हानि ना हो। जब तक सरकार हर बात जनता के ऊपर ही थोपती रहेगी तब तक कुछ होने वाला नहीं है।
ऐसे तो प्रदूषण रूकने वाला नहीं है
एक बार एक सम्मेलन में जाने का मौका मिला तो हर वक्ता एक ही बात दोहरा रहा था कि भ्रष्टाचार लापरवाही दहेज की समाप्ति के लिए युवाओं को आगे आना होगा तो उनसे पूछा कि आप पहल क्यों नहीं करते और सबको शपथ क्यों नहीं दिलाते कि भ्रष्टाचार का पैसा घर में नहीं आएगा और कोई लापरवाही नहीं करेगा। कुछ ऐसा ही प्रदूषण के मामले में नजर आ रहा हैं क्योंकि कोई भी अफसर इसके लिए जिम्मेदारी नहीं ले रहा जबकि उसके पास सुविधाएं हैं और मोटा वेतन मिलता है सरकार का सहारा है। बस जनता को यह करना चाहिए वो करना चाहिए इन बातों से मेरी निगाह में किसी भी प्रकार का प्रदूषण रूकने वाला नहीं है।
रोजी रोटी का संकट पैदा हो सकता है
निर्माण रूकवा देने इससे संबंध सामग्री बिकने पर प्रतिबंध से गरीब और मध्यम दर्जे के व्यक्ति के सामने रोजी रोटी का संकट जरूर पैदा हो जाएगा। प्रदूषण ना इससे रूकने वाला है ना ही रूकेगा।
शेर आया शेर आया रोल मचाने से
आखिर जागरूक नागरिकों की निगाह दिन रात गरीबी की भांति बढ़़ रहे एसी से जो जहरीली हवा निकल रही है वो भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नजर आती है लेकिन उस पर रोक लगाएं या वो दमघोंटू वातावरण ना बनाएं ऐसी व्यवस्था के लिए कोई भी तैयार नहीं है। प्रिय पाठकों नियम टूटे सारे लोग प्रदूषण के मारे कहने से कुछ होने वाला नहं है। हमें सरकार से नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग मुखर होकर करनी होगी। एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बिल्कुल सही है कि क्या समिति बनाने से यह प्रदूषण खत्म हो जाएगा। मुझे लगता है कि याचिकाकर्ता अजय नारायण राव गजबहार जैसे जागरूक नागरिकों को खुद आगे बढ़कर लोगों को इकठठा कर इस समस्या का समाधान करने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखना वहोगा वरना तो शेर आया शेर आया की कहावत के समान हम प्रदूषण बढ़ा करते रहेंगे और एक दिन ऐसा आएगा कि इससे लोग मरना भी शुरू कर सकते है। ऐसी स्थिति ना आए इसके लिए सब संकल्प करें कि दोषियों को सजा दिलाने के लिए उनका पर्दाफाश का प्रयास शुरू करें।

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