मेरठ 06 सितंबर (प्र)। एआई और मशीन लर्निंग केंद्रित मॉलीक्यूलरली इंप्रिंटिड पॉलिमर विश्लेषण प्रणाली विभिन्न कैंसर को शुरुआती चरण में ही पहचान लेगी। इससे विकसित बॉयो सेंसर किफायती और उपयोग में आसान होंगे। यह बॉयोसेंसर रक्त, लार एवं मूत्र जैसे सामान्य शारीरिक तरल पदार्थों में मौजूद कैंसर मार्कर का बेहद मामूली मात्रा में पता लगाने में सक्षम होंगे। इससे कैंसर की पुष्टि में लगने वाला कई दिनों का समय सिमटकर कुछ मिनटों में रह जाएगा।
कैंसर को शुरुआती स्तर पर ही पकड़ने के लिए उक्त विधि रसायन विज्ञान विज्ञान से डॉ. नाजिया तरन्नुम एवं डॉ. दीपक कुमार, आईटी से इंजीनियर प्रवीण कुमार एवं सैयद विलायत अली रिजवी और गणित विभाग से डॉ. मुकेश कुमार शर्मा ने मिलकर तैयार की है।
टीम को उक्त विधि का भारतीय पेटेंट मिल गया है। टीम के अनुसार मशीन लर्निंग केंद्रित यह विधि कैंसर की शुरुआती अवस्था में सटीकता और गति के साथ पता लगाने में सक्षम है। शोधकर्ताओं के अनुसार उक्त तकनीक चिकित्सकों को वास्तविक समय में निरंतर सटीक और व्यक्तिगत जानकारी उपलब्ध कराकर इलाज को और अधिक प्रभावी बनाएगी। साथ ही कैंसर उपचार में ‘एक ही इलाज सबके लिए’ की पारंपरिक पद्धति से हटकर हर मरीज के लिए व्यक्तिगत इलाज की दिशा में बड़ा कदम होगा।
शोधकर्ताओं के अनुसार मशीन लर्निंग और मॉलिक्यूलरली इंप्रिंटिड पॉलिमर का यह संगम न सिर्फ बेहतर सेंसर तैयार करेगा बल्कि यह एक स्मार्ट और लचीला उपकरण सेट देगा, जो कैंसर के खिलाफ लड़ाई के हर चरण को तेज कर देगा। इसमें शुरुआती पहचान से लेकर इलाज और लंबे समय तक उसका प्रबंधन शामिल है।
चौधरी चरण सिंह विवि कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला का कहना है कि यह उपलब्धि सीसीएसयू की अनुसंधान संस्कृति को और सशक्त बनाएगी, साथ ही छात्रों और शोधार्थियों को नए प्रयोग एवं नवाचार के लिए प्रेरित करेगी। विश्वविद्यालय इस प्रकार के प्रयासों को आगे भी प्रोत्साहित करता रहेगा।
