Tuesday, November 12

मेरठ जिले के पिछले पांच वर्षों में हुए तीन लाख बैनामों की होगी जांच

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मेरठ 09 नवंबर (प्र)। शासन के आदेश पर अब मेरठ जिले में पिछले पांच वर्षों में हुए तीन लाख से अधिक बैनामों में लगे स्टांप की जांच होगी। इस तरह अब फर्जी स्टांप को लेकर जांच का दायरा बढ़ गया है। तीन साल के बैनामों की जांच हो चुकी है और पांच साल के बैनामों की और जांच होगी। इस तरह पिछले आठ साल के बैनामे जांच के घेरे में आ गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि जांच में समय लगेगा। पिछले पांच साल के बैनामों का रिकार्ड तैयार किया जा रहा है। शासन में गोपनीय शिकायत हुई थी कि मेरठ में पिछले एक दशक में फर्जी स्टांप से बैनामे का बड़ा खेल हुआ है। तीन साल की जांच में ही जब 7.50 करोड़ के फर्जी स्टांप की पुष्टि हुई है।

ऐसी स्थिति में पिछले 10 साल के बैनामों की जांच कराई जाए। इस पर निबंधन महानिरीक्षक ने स्पष्ट किया कि पूर्व में भी अनियमित स्टांप के प्रयोग से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में पूर्व के तीन साल की जांच के पीछे के पांच साल के बैनामों में प्रयोग स्टांप की जांच कराई जाए। इस तरह जांच का दायरा काफी बढ़ गया है। अब कुल मिलाकर आठ साल के बैनामों की जांच होगी।
इन आठ वर्षों में अरबों रुपये के स्टांप का प्रयोग हुआ है। ऐसे में कौन सा स्टांप असली और कौन सा फर्जी प्रयोग हुआ यह जांच में ही स्पष्ट होगा।

इस तरह हुए पांच साल में बैनामे
वित्तीय वर्ष कुल बैनामे
2019-20 46,570
2020-21 50,618
2021-22 65,134
2022-23 82,736
2023-24 79,561
कुल 3,24,6191

नासिक भेजने का आदेश दे चुके हैं जिलाधिकारी
फर्जी स्टांप के मामले में डीएम दीपक मीणा ने सख्त रुख अख्तियार किया है। उन्होंने एआईजी स्टांप को फर्जी स्टांप की मूल कापी को नासिक भेजकर जांच कराने को कहा है ताकि सत्यता का पता चल सके।

शासन के आदेश पर हो रही कार्रवाई
एआईजी स्टांप ज्ञानेन्द्र कुमार का कहना है कि शासन ने जो आदेश दिया है तो उसके आधार पर कार्रवाई की जा रही है। जिले के सभी सब रजिस्ट्रार से जांच कराई जाएगी

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