मेरठ 23 जुलाई (प्र)। एचडीएफसी बैंक में खुद को शिक्षक बताकर छह लोगों ने प्लाट व संपत्ति खरीदने को ऋण आवेदन दिया। सभी ने फर्जी दस्तावेज लगाए। तीन लोगों को बैंक ने 1.99 करोड़ रुपये का ऋण देकर रुपया उनके खाते में ट्रांसफर कर दिया। जांच हुई तो बैंक को दिए गए सभी दस्तावेज फर्जी निकले। इससे बैंक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। बाकी तीन आवेदन के दस्तावेज की जांच की तो वह भी फर्जी मिले। इस पर उनका ऋण आवेदन निरस्त कर दिया गया। बैंक के विवेचना प्रबंधक ने फर्जी दस्तावेज पेश कर 1.99 करोड़ रुपये हड़पने वाले तीनों लोगों के खिलाफ मेडिकल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
तेजगढ़ी चौराहा स्थित एचडीएफसी बैंक के विवेचना प्रबंधक हिमांशु सेंगर की ओर से मेडिकल थाने में दर्ज कराई गई रिपोर्ट में बताया गया कि संपत्ति व प्लाट खरीदने के लिए आगरा के सौ फुटा रोड निवासी रामकुमार ने खुद को शिक्षक बताया और 64 लाख का ऋण मांगा। इसके अलावा राजेश कुमार ने 75 लाख और आगरा के सिकंदरा की विकास कालोनी निवासी लोकेंद्र चौहान ने 60 लाख रुपये ऋण के लिए आवेदन किया। पेश दस्तावेज के आधार पर तीनों का ऋण स्वीकृत कर धनराशि इनके खातों में ट्रांसफर कर दी गई। इनके अलावा आगरा के ही राधा विहार दयालबाग निवासी धीरेंद्र सिंह ने 81 लाख, आगरा के कालिंदी विहार निवासी सनी कुमार ने 65 लाख और अतुल यादव ने 85 लाख रुपये ऋण के लिए बैंक में आवेदन किया था।
हिमांशु सेंगर ने बताया कि कुछ सूत्रों से पता चला कि एक गिरोह कई बैंकों से फर्जी दस्तावेज के सहारे ऋण दिला रहा है। इसके बाद रामकुमार, राजेश कुमार और लोकेंद्र, धीरेंद्र, सनी कुमार और अतुल यादव के दस्तावेज की जांच की गई तो वह फर्जी मिले। धीरेंद्र, सनी कुमार और अतुल यादव के ऋण फाइल को तत्काल निरस्त किया गया। बैंक अधिकारियों ने खरीदी संपत्ति की जांच की तो वह दिए गए पते पर नहीं : मिली। बैंक में जमा किए गए आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो, बैंक स्टेटमेंट और वेतन प्रमाण पत्र सभी फर्जी मिले। बैंक के विवेचना प्रबंधक ने बताया कि सभी छह लोगों के प्रार्थना पत्र व दस्तावेज की जांच बैंक के अधिकारी आर्यन पंवार और राम ने की थी। दोनों ही आउटसोर्सिंग कर्मचारी हैं। मेडिकल थाना पुलिस धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।