मेरठ 08 अगस्त (प्र)। गढ़ रोड स्थित दामोदर कॉलोनी में नगर निगम की कीमती जमीन एक बिल्डर ने बेच दी। फर्जी हाउसिंग सोसाइटी बनाने का आरोप लगाकर बृहस्पतिवार सुबह स्थानीय लोगों ने हंगामा कर दिया। जानकारी लगने पर महापौर और निगम अफसर पहुंचे लोगों को आश्वासन दिया कि जांच कराएंगे। वहीं, इस प्रकरण में हाईकोर्ट ने सुनवाई भी की। इसमें कोर्ट ने डीएम से 15 दिन में जमीन से संबंधित रिपोर्ट मांग ली। यह मामला कोर्ट में 2010 से विचाराधीन है।
दामोदर कॉलोनी सहकारी समिति के अध्यक्ष योगेश त्यागी, सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन शिवेंद्र बेंबी, डॉ. विश्वजीत बैंबी ने बताया है कि इस कॉलोनी को वर्ष 1966 में आवास एवं विकास परिषद लखनऊ के अंतर्गत स्थापित किया गया था। कॉलोनी में प्लॉटों का आवंटन दामोदर सहकारी आवास समिति लिमिटेड मेरठ के माध्यम से किया गया था। कॉलोनी में दो पार्क विकसित किए गए जिनमें से एक पार्क लगभग 7000 वर्ग गज से क्षेत्र में फैला है। कई वर्षों से भूमाफिया इस पार्क पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। कॉलोनी से बाहर के लोग अब फर्जी समिति बनाकर उसके चुनाव कराने के बहाने पार्क पर कब्जे का प्रयास कर रहे हैं। बृहस्पतिवार को बाहरी लोगों द्वारा पार्क में टेंट लगाकर समिति के चुनाव कराए जा रहे थे।
इस पर कॉलोनी के लोगों ने हंगामा किया। शिकायत पर महापौर हरिकांत अहलूवालिया व अपर नगर आयुक्त लवी त्रिपाठी अपनी टीम के साथ पहुंचे। उन्होंने लोगों से पूरे मामले की जानकारी ली। लोगों ने दामोदर कॉलोनी को निगम से हस्तांतरित करने की मांग की तो नगर निगम अधिकारियों ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। लोगों ने जिलाधिकारी से शिकायत करके कहा कि बाहरी लोगों को पार्क पर कब्जा करने से रोका जाए। इस दौरान निकुंज गर्ग, डॉ. नीरज गर्ग, अनिल राजौर, डॉ. पंकज मित्तल, सीए वासु गुप्ता, डॉ. रोहित कांबोज और अमित त्यागी आदि मौजूद रहे।
15 दिन में डीएम कोर्ट में पेश करेंगे रिपोर्ट
दामोदर कॉलोनी में जमीन का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। कब्जा करने को लेकर 2010 से कोर्ट का स्टे है। बताया गया कि स्टे के बावजूद बिल्डर ने जमीन पर हाउसिंग सोसाइटी बना दी। निगम की जमीन पर प्लॉट काट दिए। इसकी शिकायत भी निगम पक्ष ने कोर्ट में की थी। बृहस्पतिवार को कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई। कोर्ट ने जमीन पर कब्जा होना बताकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने 28 अगस्त की तारीख शीर्ष मामले के लिए निर्धारित की है। सोसाइटी के विरुद्ध अवमानना कार्यवाही शुरू करने के आदेश में अपनी आपत्ति व्यक्त की है। जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिए है कि 15 दिन में अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष देंगे।