Friday, November 22

कानून के खिलाफ वक्फ की जमीनों की हो जांच

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लखनऊ 14 दिसंबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कानून के खिलाफ वक्फ में दर्ज की गई सरकारी जमीनों की जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने पीलीभीत के ऐसे मामले की सुनवाई करते हुए अन्य जिलों में भी इसकी जांच का आदेश एसीएस गृह को दिया। कोर्ट ने कहा कि एसीएस गृह 15 दिन में उच्चस्तरीय जांच समिति बनाकर 30 दिन में जांच पूरी कर सीलबंद रिपोर्ट पेश करें। दोषी पाए जाने वाले राजस्व अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर उनके खिलाफ कार्रवाई भी करें।

न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की एकल पीठ ने ये आदेश पीलीभीत के तस्लीम हसन खां की याचिका पर दिए। याचिका में अपर आयुक्त और राजस्व परिषद के आदेशों को चुनौती दी गई थी। साथ ही सरकार के नाम दर्ज जमीन को फिर वक्फ को देने की गुजारिश की याची का कहना था कि 1890 से 1951 तक प्रश्नगत जमीन इस वक्फ के नाम दर्ज थी। 1952 में यह जमीन राज्य सरकार में निहित हो गई। 2010 में जैसे ही याची को इसका पता चला, उसने उप खंड अधिकारी (एसडीओ) सदर, पीलीभीत के समक्ष अर्जी | देकर सुधार की गुजारिश की।

एसडीओ ने 3.554 एकड़ जमीन को संशोधित कर याची के नाम दर्ज करने का आदेश दिया। याची का कहना था इस मामले में बाद में बाद में अपर आयुक्त व राजस्व परिषद ने जमीन की प्रविष्टि को रद्द कर दिया। उधर, राज्य सरकार ओर से याचिका का विरोध करते हुए मुख्य स्थाई अधिवक्ता (सीएससी) शैलेंद्र कुमार सिंह का कहना था कि कानूनी प्रावधानों के तहत मुआवजा देकर यह जमीन राज्य के नाम से दर्ज की गई। वक्फ ने मुआवजा प्राप्त भी किया। लिहाजा, करीब 55 साल बाद वक्फ बगैर किसी कानूनी प्रावधान के जमीन का पुनः कब्जा प्राप्त नहीं कर सकता है। सीएससी ने कहा कि राज्य सरकार की ऐसी अन्य संपत्तियां हैं, जिन पर याची ने राजस्व रिकार्ड में फर्जीवाड़ा करके दावा किया है। ऐसे में इस मामले की गहन जांच जरूरी है।

कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर कहा कि इसमें 11 ऐसे संपत्तियों वर्णित हैं जिनमें राज्य की कई एकड़ जमीन शामिल है। ऐसे में एसीएस होम उच्चस्तरीय समिति जांच समिति बनाकर जांच करवाएं कि पीलीभीत समेत प्रदेश के अन्य जिलों में कितनी ऐसी सरकारी जमीनें कानून के खिलाफ वक्फ के नाम दर्ज हैं। कोर्ट ने कहा जांच समिति 15 दिन में बनेगी जो 30 दिन में रिपोर्ट देगी।
रिपोर्ट सील कवर में कोर्ट में पेश की जाएगी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जांच के बाद दोषी राजस्व अफसरों की जिम्मेदारी तय कर उनके खिलाफ समयबद्ध तरीके से जरूरी कार्रवाई की जाए। इस आदेश के साथ कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 2 फरवरी को नियत की है।

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