एक समय था बुजुर्गों को हार्ट अटैक या हृदय रोग होने की बात सुनने को मिलती थी। बुढ़ापा आने तक लोग इस बारे में जानते भी नहीं थे लेकिन कुछ दशक से आराम तलबी कहें या विदेशों से आए खाद्य सामग्री के प्रचलन का उपयोग जो भी हो अब हमारे बच्चों को भी हार्ट अटैक या हृदय रोग जेसी बीमारियों के होने की खबरें पढ़ने सुनने को मिलती है। शादी में डांस करते समय या दौड़ लगाते समय युवा हार्ट अर्टैक से मर गया।
जिसकी आ गई है उसे कोई नहीं बचा सकता मगर थोड़े से प्रयास कर सावधानी बरती जाए तो बीमारियों से बचा जा सकता है। भगवान ने हमें स्वस्थ रहने के सोचने के लिए दिमाग दिया है इसके बाद भी हम लापरवाही कर स्वास्थ्य से तो खिलवाड़ कर रहे हैं अपने परिवार को बीमारियों केखर्च बढ़ने से आर्थिक समस्याओं में घेरने के लिए पीछे नहीं है। आज हम विश्व हार्ट दिवस मना रहे हैं। देशभर में इस बीमारी से संबंध डॉक्टरों और अस्पताल संचालकों जो कुछ दिनों में बेइंतहा दौलत के मालिक बन गए हैं ने बड़े बड़े विज्ञापन छपवाकर अपने अपने अस्पतालों का प्रचार किया है। चिकित्सक अपना काम करे लेेकिन जो मानव सेवा की शपथ दिलाई जाती है सरकार को बीमारियों के कारणों और उसकी रोकथाम के सुझाव व मरीजों को यह बताने से ना चूके की कोई नई बीमारी पैदा ना हो इसलिए अपने आपको स्वस्थ रखें।
मैं कोई वैध हकीम डॉक्टर नहीं हूं लेकिन सात दशकों में जो समझा और डॉक्टरों से पता चला उसके अनुसार हम रोज सुबह व्यायाम सैर और सौ बार तालिया बजाएं तो हार्ट समेत कई बीमारियां रूक सकती हैं। अगर कोई बीमारी हो तो डॉक्टर से सलाह जरुर लें और दवाई लेने में पीछे ना रहे । सुबह पैदल घूमना योग और ताली नहीं बजाते है तो कल से ही शुरू करे। कहा जाता है कि सुख में सुमिरन करे तो दुख काए को होए। पेटभर रोटी खानी है तो सेहत का ध्यान रखना होगा। समय रहते चौकस हो जाओ। कई मौकों पर सुना जाता है कि भगवान का दूसरा रूप डाक्टर होते हैं दवाई देकर हमें पीड़ा से आराम पहुंचाते हैं। इसलिए मेरा आग्रह है कि धरती पर भगवान के रूप में डॉक्टरों को बीमारियों की रोकथाम के लिए भी प्रचार करते रहना चाहिए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
विश्व हार्ट दिवस पर विशेष! हार्ट अटैक ही नहीं थोड़ा सा प्रयास करें तो कई बीमारियों से बचकर रह सकते हैं
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