Tuesday, October 14

नंगला गोसाई में रह रहे 107 बंगाली परिवारों का जल्द होगा पुनर्वास

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मवाना 25 सितंबर (प्र)। तहसील मवाना क्षेत्र के गांव नंगला गोसाई में वर्षों से रह रहे 107 बंगाली परिवारों का जल्द पुनर्वास होगा। लखनऊ में बुधवार को मुख्य सचिव एसपी गोयल ने एडीएम एफ सूर्यकांत त्रिपाठी से पूरे प्रकरण की जानकारी ली। माना जा रहा है कि इन परिवारों का जल्द पुनर्वास हो जाएगा।

नंगला गोसाई गांव में झील के किनारे और सिंचाई विभाग की हजारों हेक्टेयर जमीन पर 40 वर्षों से 107 बंगाली परिवार रह रहे हैं। वह खेती करते हैं और कच्चे- पक्के मकानों में रहते हैं। उन्होंने इस जगह का नाम रामगढ़ बंगाली बस्ती रख लिया है। सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। आधार कार्ड और वोटर कार्ड बने हैं। बिजली-पानी की सुविधा भी है। ग्राम पंचायत द्वारा भी यहां काम कराए गए हैं। कुछ समय पहले एनजीटी ने जिला प्रशासन को उक्त जमीन को खाली कराने के आदेश दिए थे। तहसील की राजस्व टीम ने पुलिस फोर्स के साथ उनके मकान आदि ढहा दिए थे लेकिन विरोध के चलते पूरा निर्माण नहीं हटा सके थे। इसके बाद इन लोगों ने स्थानीय कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट द्वारा प्रदेश सरकार को ही पुनर्वास के आदेश दिए थे।

मुख्य सचिव एसपी गोयल ने इस मुद्दे को लेकर मंडलायुक्त व डीएम डा. वीके सिंह को तलब किया था। बुधवार को एडीएम एफ सूर्यकांत त्रिपाठी और मवाना के नायब तहसीलदार अंकित त्रिपाठी शासन में पहुंचे। उन्हें बंगाली परिवारों के साथ हुए सहमति पत्र आदि की कापी दिखाई। हालांकि जनपद में खरखौदा, परीक्षितगढ़ समेत कई स्थानों पर आवास के लिए जमीन मिल रही थी लेकिन कानपुर के रसूलाबाद समेत कई स्थानों पर विस्थापन के लिए उक्त लोगों ने अपनी शर्तों पर सहमति दे दी थी।

खेती की भी जमीन मिले तो होंगे विस्थापित
जिला प्रशासन द्वारा प्रति परिवार आवास के लिए 200 वर्ग गज जमीन देने के लिए खरखौदा समेत कई स्थानों पर इन परिवारों से सहमति बनाने का प्रयास किया था लेकिन वह खेती की जमीन की मांग पर अड़े थे। पिछले साल 63 बंगाली परिवार हस्तिनापुर से कानपुर देहात के रसूलाबाद गए थे, जहां उन्हें आवास के साथ खेती की जमीन भी दी गई थी। बाकी लोगों को भी वहीं विस्थापित करने की योजना है। इन परिवारों के रमेन राय, विश्वजीत और विवेक आदि ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने एक मांग पत्र भी दिया है। बिना खेती की जमीन लिए वे कहीं भी जाने के लिए तैयार नहीं होंगे।

मवाना एसडीएम संतोष कुमार सिंह का कहना है कि एडीएम एफ व नायब तहसीलदार मवाना शासन में गए थे लेकिन पुनर्वास के संबंध में आदेश मिलने पर ही कुछ कहा जा सकता है।

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