मेरठ 03 जुलाई (प्र)। चौ.चरण सिंह विवि में एमबीबीएस के 13 छात्र-छात्राओं की कॉपियों की जांच में महिला परीक्षक की बड़ी गलती पकड़ी गई है। यह महिला निजी मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के पद कार्यरत हैं और गाइनोलॉजिस्ट भी हैं।
चुनौती मूल्यांकन से साबित हुआ कि महिला चिकित्सक ने परीक्षार्थियों को वास्तविक अंकों से एक तिहाई तक कम अंक दिए। विवि में यह महिला प्रोफेसर पहली परीक्षक है जो गलत मूल्यांकन पर ना केवल दो साल के लिए डिबार होंगी बल्कि प्रतिकूल टिप्पणी भी पाएंगी।
एक ही सत्र में एक ही प्रश्नपत्र में 10 छात्रों के रिजल्ट में गलती मिलने पर परीक्षक को डिबार के साथ प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज करने का नियम है। उक्त महिला परीक्षक द्वारा चेक कॉपियों में 13 छात्रों के नंबर गलत पाए गए हैं।
गाइनी का पेपर, गाइनोलॉजिस्ट ने ही कर दिया फेल
सभी 13 विद्यार्थी एमबीबीएस में पेपर कोड 407-न्यू में गाइनो के पेपर के हैं। जिस महिला परीक्षक ने कॉपियां चेक की वह भी गाइनोलॉजिस्ट है। प्रभावित छात्रों में मेडिकल कॉलेज मेरठ सहित अन्य जिलों के निजी मेडिकल कॉलेजों के छात्र भी हैं। विवि प्रशासन के अनुसार गाइनोलॉजिस्ट और प्रोफेसर होने के बावजूद छात्रों को गाइनी के पेपर में ही फेल करना चौंकाने वाला है।
जिसे दिए 14 नंबर, दोबारा जांच में आए 49
एमबीबीएस के इन सभी 13 छात्रों के नंबर 20 से 38 फीसदी तक बढ़े हैं। एक छात्र को महिला प्रोफेसर ने 14 नंबर दिए और दोबारा जांच में अन्य दो परीक्षकों ने क्रमश: 37 एवं 49 नंबर दिए। जिस छात्र को 12 नंबर मिले, चुनौती मूल्यांकन में उसे 40 एवं 50 नंबर दिए गए। विवि के अनुसार चुनौती मूल्यांकन में दो अलग-अलग परीक्षकों ने महिला प्रोफेसर से दोगुने नंबर दिए हैं।