मेरठ 03 जुलाई (प्र)। यूपी और केन्द्र दोनों की सरकारें हर व्यक्ति को साक्षर बनाने और इस क्षेत्र में सभी तरीके से सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और इसी कड़ी में कम छात्र छात्राओं वाले स्कूलों के विलय पर तो काम हो ही रहा है इनमें अगर कहीं भ्रष्टाचार और पैसे की बदरबांट हो रही है तो इसकी भी जांच कराई जा रही है। आज भाजपा युवा मोर्चा की कार्यकारिणी के सदस्य रहे अंकित चौधरी द्वारा 2024 में बेगमपुल स्थित विद्या सभा जो एक लड़कियों के स्कूल का संचालन भी करती है पर 2024 में लगाये गये कई प्रकार के आरोपों के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि उनके द्वारा इस संदर्भ में प्रतिष्ठित जगदीश शरण की बालिकाओं की शिक्षा में सुधार और अच्छी व्यवस्था बनी रहे इस बात को दृष्टिगत रख डीएम को एक ज्ञापन सौंपा गया था। अब एक बार पुनः इस संदर्भ में बालिकाओं को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने का काम आर्थिक कारणों से प्रभावित न हो यह तथ्य ध्यान में रख पुनः मांग की जाएगी कि 2020 से 2024 तक के विद्या सभा के कार्यकाल में अध्यक्ष उपाध्यक्ष सचिव व कोषाध्यक्ष आदि पदों पर कौन कौन रहे उनके जमाने में जो लेन देन हुआ और बैंको से रूपया निकाला गया उसकी जांच की मांग की जाएगी क्योंकि ऐसा सुनने को मिल रहा है कि इस कार्यकाल में आर्थिक साधनों का दुरूपयोग हुआ। इसके लिए विद्या सभा के खाताधारक गढ़ रोड स्थित यस बैंक के कुछ कर्मचारियों के द्वारा तो इसमें कोई सहयोग नहीं दिया गया। पिछले एक दशक से उनकी कार्यप्रणाली और विद्या सभा के पदाधिकारियों की गतिविधियों की जांच की भी मांग दोबारा की जा सकती है। बताते है कि विद्या सभा यहां के स्कूल की जगह में बनी दुकानों का किराया भी उघाती थी वो पैसा कब और कैसे खर्चा किया गया और प्राईमरी स्कूल क्यों बंद किया गया तथा सुधार के नाम पर उस पर कितना पैसा 2024 तक एक दशक में खर्च हुआ इसकी समीक्षा भी किसी तकनीकि जानकार द्वारा कराये जाने की मांग से भी अंकित चौधरी द्वारा इनकार नहीं किया गया।
एक जानकारी अनुसार बताया जा रहा है कि कुछ पदाधिकारियों ने विद्या सभा के संचालन में मनमानी करते हुए कई अनियमितताऐं किये जाने की संभावना को लेकर ही यह जांच की मांग की जाएगी।
इस संदर्भ में पाठक का कहना था कि वो अब पिछले दस साल में कौन कौन पदाधिकारी किस किस पद पर रहे और किन किन के हस्ताक्षर और सहमति से बैंक से लेन देन किया जाता था उसका पता कर वो भी इनके नाम देकर भ्रष्टाचार निवारण विभाग से जांच कराने की मांग का प्रयास करेगा।