झांसी 21 नवंबर। बुंदेलखंड की चार बेटियां गृहस्थ जीवन छोड़कर सन्यास लेंगी। 16 दिसंबर को कोलकाता में आर्यिका दीक्षा लेंगी। संस्कारों का पाठ पढ़ाने के लिए घर छोड़ देंगी।
ये बेटियां जैन समाज के प्रतिष्ठित परिवार से हैं। 16 दिसंबर को कोलकाता में आर्यिका विशाश्री माताजी से दीक्षा लेंगी। ये बेटियां साध्वी बनकर जैन धर्म के सिद्धांत और नियमों का पालन करेंगी। पूरे देश में संस्कार का पाठ पढ़ाएंगी। इन दिनों बेटियों की जगह-जगह बिनौली यात्रा निकाली जा रही है। बेटियां गृहस्थावस्था में हुई भूलों की समाज से क्षमा याचना कर रही हैं।
शिवा जैन ललितपुर के बानपुर की रहने वाली हैं। महेंद्र नायक की बड़ी बेटी हैं। शिवा जैन आर्यिका माता विशश्री से दीक्षा लेंगी। शिवा के पिता महेंद्र नायक ने बताया कि साल 2011 में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज और आर्यिका विशाश्री माताजी ने बानपुर में पंचकल्याणक महोत्सव कराया था। उन्होंने आगे बताया कि शिवा माताजी के पास सेवा करने जाती थीं। शिवा बीसीए तक पढ़ाई की हैं। बचपन से ही धार्मिक कार्य करते थे। पिछले 11 साल से वह आर्यिका संघ में रहकर संयम की साधना कर रही हैं। शिवा की छोटी बहन सेजल जैन भी धार्मिक कार्यों में आगे रहती हैं।
शैली जैन भिंड की रहने वाली हैं। उनके पिता प्रकााशचंद्र जैन और ऊषा जैन हैं। शैली जैन की मां ऊषा जैन ने बताया कि शैली दीदी नगर में आर्यिका संघ जैन साध्विका के आने के दौरान बढ-चढ़कर सेवा करती थीं। लॉकडाउन में आर्यिका विशाश्री माताजी औरंगाबाद में वर्षायोग यानी चातुर्मास कर रही थीं। इसी दौरान वे संघ में शामिल हो गईं। आर्यिका माता से ब्रह्मचर्य और दो प्रतिमा के व्रत ले लिए। इसके बाद उन्होंने घर वापसी नहीं की। एमए कर चुकीं शैली दीदी ने बताया कि आर्यिका माताजी को देखकर मन में संयम का भाव जागृत हुआ और सब कुछ छोड़ने का फैसला कर लिया।
सपना भोपाल की रहने वाली हैं। वे टीचर बनना चाहती थीं। उन्होंने अंग्रेजी से M.A और बीएड किया। आध्यात्मिक लेख भी लिखती थीं। धर्म से प्रभावित होकर उन्होंने संयम पथ अनाया। चार महीने पहले कोलकाता में आर्यिका माता ने सहमति मांगी। बिटिया के त्याग की अनुमोदना करते हुए परिवार ने भी सहर्ष स्वीकृति दे दी। अब वे आर्यिका दीक्षा लेकर समाज को धर्म का पाठ पढ़ाना चाहती हैं।
रौनक ने 2015 में बीकॉम कीं। इसके बाद आर्यिका विशाश्री माताजी से दीक्षा लेंगी। आर्यिका विशाश्री माताजी राजस्थान के हिंगोनिया की रहने वाली हैं। 8 साल तक उन्होंने कठिन तप किया। अब उन्हें दीक्षा मिल जाएगा। रौनक दीदी ने बताया कि आर्यिका दीक्षा लेकर अपना कल्याण करना चाहती हूं।
दीक्षा लेने के बाद बेटियों का पूरा जीवन बदल जाएगा। पूरे साल में केवल दो सफेद साड़ियां पहनेंगी। 24 घंटे में एक बार बैठकर अंजुलि यानी हाथ में अन्न और जल ग्रहण करेंगी। कभी भी अपने घर नहीं जा सकेंगी। एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पदविहार करेंगीं। मोबाइल, टीवी, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का उपयोग नहीं करेंगी। आहार में भी शुद्ध और सात्विक खाद्य पदार्थ ही लेंगीं। तख्त और चटाई पर भी साेएंगीं। रात आठ बजे से सुबह चार बजे तक मौन रहेंगीं।