मेरठ 07 जून (प्र)। हर रोज दो जून की रोटी को तरसते हजारों लोगों के बीच चौधरी चरण सिंह विवि कैंपस के आठ हॉस्टलों में छात्र-छात्राओं द्वारा खाने की बर्बादी चिंतित करने वाली है।
सर्वाधिक 26 फीसदी छात्र अपनी थाली में दाल छोड़ देते हैं जबकि 20 फीसदी सब्जी। हॉस्टल में मात्र 60 फीसदी छात्र ही नियमित भोजन करते हैं जबकि 40 फीसदी ऐसा नहीं करते। मैस में नियमित भोजन नहीं करने वाले 40 फीसदी छात्रों का खाना बनता तो है, लेकिन इसे कोई खाता नहीं। यह बेकार हो जाता है। हॉस्टल में 42 फीसदी छात्र ही ऐसे हैं जो प्रतिदिन सुबह से रात तक का भोजन मैस में करते हैं। तीन फीसदी छात्र केवल दो बार और 19 फीसदी कभी-कभी भोजन करते हैं। 60 फीसदी छात्र छह फीसदी अक्सर, तीन फीसदी हर बार भोजन प्लेट में छोड़ते हैं। मैस में सर्वाधिक 26 फीसदी दाल, 20-20 फीसदी सब्जी-चावल, तीन फीसदी रोटी और 31 फीसदी अन्य चीजें बेकार जाती हैं।
इसलिए हुआ यह सर्वे
सीसीएसयू ने आठ हॉस्टलों के दो हजार छात्र-छात्राओं के बीच भोजन पर यह सर्वे उनका ट्रेंड समझने के लिए किया। विवि का लक्ष्य है कि मैस में भोजन किसी भी स्थिति में बेकार ना जाए। यदि खाना बचे तो वह जरूरतमंदों तक पहुंचे। चीफ वार्डन प्रो.दिनेश कुमार के अनुसार हॉस्टल में प्रतिदिन भोजन के अपव्यय रोकने के लिए यह प्राथमिक अध्ययन है। उक्त सर्वे में 78 फीसदी छात्र एवं 22 फीसदी छात्राओं ने हिस्सा लिया। उधर, सर्वे में लगभग 40 फीसदी छात्रों ने माना कि वह थाली में खाना अधूरा छोड़ते हैं। खाने की गुणवत्ता, स्वाद एवं विविधता में कमी को छात्रों ने कारण बताया है।
अब सीसीएसयू यह करेगा..
विवि चीफ वार्डन प्रो. दिनेश कुमार का कहना है कि कैंपस हॉस्टल में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सेल्फ सर्विस सिस्टम लागू होगा। भोजन निगरानी समितियां बनेंगी जिसमें छात्र शामिल होंगे। भोजन अपव्यय को ट्रैक करने के लिए डिजिटल निगरानी सिस्टम पर भी काम किया जाएगा। विवि मैस में स्थानीय किसान-खाद्य आपूर्तिकर्ताओं से समंवय कर ताजे एवं पौष्टिक खाद्य सामग्री की आपूर्ति की जाएगी। बचे हुए खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचाने को संस्थाओं से बात की जाएगी।