केन्द्र सरकार की पूरे देश को एक झन्ड़े के तले लाने और सबके अधिकार बराबर करने की श्रृंखला में 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने को आज पूरे 6 साल हो गये। और अगर ध्यान से और खुले मन से सोचे तो पहलगाम जैसी घटनाओं को छोड़कर आम आदमी में जम्मू कश्मीर के प्रति आर्कषण बढ़ा है और यहां की गतिविधियां भी तेज हुई है चाहे वो पंचायत चुनाव को लेकर हो या पर्यटन को। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मांग की है कि पूर्व में भाजपा के सहयोग के दौरान जिन समस्याओं के समाधान के लिए 2015 में दोनों दलों के बीच गठबंधन के तहत तय हुआ था उनका पालन किया जाना चाहिए। अगर देखे तो इसमें कोई गलत नहीं लगता क्योंकि हर आदमी को अपनी बात कहने और रखने का अधिकार है। लेकिन उनका कहना है कि भाजपा के द्वारा अपनाई गई सख्त नीति पूरी तरह असफल रही को सही नहीं कहा जा सकता।
और भी कई बिन्दु अपनी पार्टी और विरोधी विचार धारा के तहत रखे जा सकते थे वो उनके द्वारा रखे गये है। मगर केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 9 दिवसीय चुनार महोत्सव का उद्घाटन करते हुए जो कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान बंदूक या लाठी में नहीं है। वो कलम से हो सकता है शिक्षित समाज को इस दिशा में आगे बढ़कर सोचना होगा। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि अनुछेद 370 के ज्यादातर प्रवधानों को निरस्त करने के बाद जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया धीरे धीरे बहाल हो रही है इसी का परिणाम है कि गरीब और पिछड़ों के लिए कई कार्यक्रम लागू हुए है।
उप्र के अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विगत दिवस स्पष्ट कहा कि आपरेशन सिन्दूर के जरिये पहलगाम के आतंकी हमले का बदला लेने का उनका वायदा भगवान शिव के आशीर्वाद से पूरा हुआ। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि पहलगाम मामले में कार्रवाई कर प्रधानमंत्री ने देश के लगभग 140 करोड़ देशवासियों का विश्वास जीता और आपरेशन सिन्दूर की वो ताकत बनी।
कुलमिलाकर जितना पढ़ने और देखने को मीडिया में मिलता है उसके हिसाब से इन 6 सालों में पहलगाम घटना बड़ा मामला था। और आपरेशन सिन्दूर के तहत उसके दोषियों को सजा भी दी गई।
इसके अलावा एक खबर के अनुसार जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटाए जाने के छह साल पूरे हो रहे हैं. इस कदम के कारण जम्मू और कश्मीर में शासन, बुनियादी ढांचे और नागरिक भागीदारी में बड़ा बदलाव आया है. इस फैसले के तहत राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किया गया और उसे पूरी तरह भारतीय संविधान के ढांचे में शामिल किया गया.
धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में हुए चुनाव
राजनीतिक बहस के बावजूद सरकार का ध्यान जनकल्याण, लोकतंत्र को मजबूत करने और आर्थिक विकास पर है. सबसे स्पष्ट परिवर्तनों में से एक लोकतंत्र में भागीदारी बढ़ी है. धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में विकास की रफ्तार तेज हुई. परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधानसभा चुनाव भी हुए. आतंकवादी घटनाओं में भी गिरावट आई.
धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनावों में 70 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ. 2020 में जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव पहला बड़ा कदम था. 2024 के राज्य विधानसभा चुनावों ने राजनीतिक भागीदारी को और मजबूत किया, जिसमें दक्षिण कश्मीर के उभरते सरपंचों सहित युवाओं और महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी रही.
विकास ने पकड़ी रफ्तार, आईआईटी मेडिकल कालेज खुले
इसके अलावा, शिक्षा और सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला है. आईआईटी जम्मू, एम्स अवंतीपोरा (2025 तक शुरू होने की उम्मीद), और रियासी में मेडिकल कालेज से शिक्षा का दायरा बढ़ा है. दूरदराज के क्षेत्रों से यूपीएससी क्वालिफायर भी निकले और जाब फेयर ने स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया, जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं.
2019 के बाद 80 हजार करोड़ का निवेश
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 के बाद 80,000 करोड़ रुपए का निवेश हुआ, जिससे रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा मिला. बुनियादी ढांचे में तेजी आई. साथ ही उदहमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) अब पूरी तरह चालू है, जो घाटी को देश से जोड़ता है.
कई टनल बने, पर्यटन की रफ्तार बढ़ी
जोजी ला टनल (2026), जोड-मोर्ह टनल, और बनिहाल-काजीगुंड रोड टनल जैसे प्रोजेक्ट्स से आवागमन बेहतर हो रहा है. मार्च 2025 तक भारतनेट के तहत 9,789 फाइबर-टू-होम कनेक्शन शुरू किए गए, जिससे डिजिटल पहुंच बढ़ी. इसके अलावा, पर्यटन में भी उछाल आया है. 2024 में श्रीनगर को यूनेस्को ने वर्ल्ड क्राफ्ट सिटी का दर्जा दिया है.
35 से बढ़कर 125 हुई रोजाना श्रीनगर की फ्लाइटों की संख्या
श्रीनगर के लिए रोजाना उड़ानें 2019 में 35 से बढ़कर 2024 में 125 हो गई हैं. इको-टूरिज्म, हेरिटेज होमस्टे, और कारीगरों द्वारा अनुभव आधारित पर्यटन से रिकार्ड पर्यटक आ रहे हैं, जिससे स्थानीय आजीविका को बढ़ावा मिला.
राजनीतिक विवाद के बावजूद सरकार का दावा है कि धारा 370 हटाने से समावेशी विकास, लोकतांत्रिक नवीकरण और जम्मू-कश्मीर में दीर्घकालिक शांति की नींव रखी गई है. जो सही भी लगती है।
दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब ब्रिज बना
चिनाब ब्रिज बना. जिसकी ऊंचाई 359 मीटर है, जो एफिल टावर से भी ज्यादा है. यह 1,315 मीटर लंबा स्टील आर्च ब्रिज है, जिसे इस तरह से बनाया गया है कि यह भूकंप और तेज हवाओं को भी झेल सकता है. वंदे भारत ट्रेनों का परिचालन शुरू किया.
आतंकी घटनाओं में कमी तो हुई लेकिन अंत का अभी भी इंतजार
चुनाव और विकास की चर्चा तो हो गई अब बात आतंकवाद की, जिसकी जद में पड़ कर जम्मू कश्मीर के कई साल बर्बाद हुए. धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं पर कमी आई. हालांकि पूरी तौर पर आतंकवाद की समाप्ति का इंतजार अभी भी बाकी है. धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में पहलगाम जैसी आतंकी हमला हुआ. जिसमें 26 बेगुनाह सैलानियों की निर्मम हत्या की गई.
आम आदमी की दृष्टि से अगर देखे तो मेरा स्पष्ट मानना है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 5 अगस्त 2019 को देश की जनता का धारा 370 हटाने का सपना पूरा करने का जो निर्णय लिया था वो सही था। और आगे भी उसके अच्छे परिणाम सामने आयेंगे यह बात विश्वास से कही जा सकती हैं और यह कहने में भी कोई हर्ज महसूस नहीं करता हूं कि केन्द्र में प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम ने जो निर्णय लिये उनमें धारा 370 हटाना और उसे राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल करना आजाद देश में इस संबंध में इसे पहला निर्णय भी कह सकते है।
(प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य संपादक पत्रकार)