शहरों में नई विकसित कालोनियां कब नगर निगम आदि को ट्रांसफर होगी और कब नहीं तथा इनको बनाने वाले बिल्डर क्या क्या काम और व्यवस्थाऐं जनहित में अपने उपभोगताओं के लिए शासन की नीति के तहत करेंगे इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा नये निर्माण सुनियोजित विकास उपभोक्ताओं के हित को ध्यान में रखकर बनाई गई पूर्व में नई कालोनियों का हस्तानांतरण जहां तक देखने में आया बड़ी सोच विचार कर जांच के बाद यह देखकर कि बिल्डर ने वो सभी व्यवस्थाऐं की है जो शासन द्वारा निर्धारित की गई है नहीं यह देखकर निस्तारण कार्य किया जाता था।
लेकिन पिछले एक साल में अब तक मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा जो कालोनियां नगर निगम को हस्तानांतरित की गई उनको लेकर जानकारों में ही नहीं इन कालोनियों के निवासियों में भी जोरदार चर्चा है कि इससे संबंधित सारे नियमों का मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा पालन नहीं किया गया। मौखिक रूप से चल रही खबर के अनुसार रूड़की रोड़ स्थित शीलकुंज कालोनी के ज्यादातर निवासी नगर निगम में इस कालोनी के हस्तानांतरण से सहमत नहीं है। इनका कहना है कि जितनी सुविधाऐं बिल्डर द्वारा या मेटिनेश विभाग दे रहा है इतनी तो नगर निगम इससे ज्यादा मेटिनेश शुल्क लेकर भी इससे ज्यादा सुविधा शायद नहीं दे पाएगा। लेकिन जो व्यवस्थाऐं नगर निगम क्षेत्र में सफाई बिजली पानी और सड़कों के निर्माण आदि की दिखाई दे रही है बिल्डर और मेटिनेश कर्ता द्वारा उससे तो कई गुना सफाई और स्वच्छ वातावरण यहां दिया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त ज्यादातर कालोनियों में बिल्डर ने शासन की नीति के अनुसार वहां के निवासियों को उपलब्ध नहीं कराई है। और कितनी ही कालोनियों के बारे में चर्चा है कि बिल्डर ने मानचित्र कुछ पास कराया और निर्माण कुछ किया। और कई कालोनियों में तो किसी भी प्रकार से सरकार की नीतियों का पालन करते हुए सुविधाऐं उपलब्ध ही नहीं कराई गई है। और नगर निगम सेे तो किसी सुविधा की उम्मीद कर पाना किसी कल्पना के समान है। कुछ में लोगों का यह भी मौखिक रूप से कहना है कि कई कोलोनाईजरों ने थोड़े थोड़े क्षेत्र का नक्शा पास कराया और पीछे की साईड विभिन्न उपयोग की भूमि पर निर्माण कर बेच दिया गया। तो कुछ का यह भी कहना है कि कुछ कोलोनाईजरों ने हस्तानांतरित कालोनियों में नाली खड़जों की जो भूमि सरकारी होती है वो भी दबा ली गई। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों ने इन कालोनियों की हस्तानांतण से पूर्व पूर्णतया प्रमाण पत्र जांच उपरांत नहीं दिया गया।
माननीय मुख्यमंत्री जी नगर निगम पहले से ही अपनी जिम्मेदारियों निभाने में असफल है और मेरठ विकास प्राधिकरण मेडा द्वारा जो कालोनियां हस्तानांतरित की गई है इनमें उपभोक्ता को मिलने वाली सुविधाऐं नगर निगम दे पाएगा संभव नहीं लगता है। और यहां रहने वाले नागरिकों का जीना मुश्किल हो सकता है। माननीय प्रधानमंत्री जी की स्वच्छता से संबंध योजनाओं की सुविधा मिलने की कल्पना इन कालोनियों में करना भी सेख चिल्ली के सपने देखने के समान है। इसलिए हस्तानांतरित सभी कालोनियों की किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर जांच कराई जाए और उससे पूर्व कालोनी हस्तानांतरण की कार्यवाही पर शासन और जनहित में लगाई जाए रोक।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मुख्यमंत्री जी दे ध्यान! एमडीए मेडा के अधिकारियों ने नगर निगम को हस्तानांतरित कालोनियों की नहीं कराई पूर्ण जांच, जनहित में इस पर रोक लगाकर पहले एक कमेटी बना कराई जाए समीक्षा
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